डोनाल्ड ट्रम्प ने दिया पीएम मोदी को धोखा ...अब खून के आंसू रोएगा अमेरिका !
Apr 12 2017 7:20PM, Writer:मीत
अभी ट्रम्प को अमेरिका का राष्ट्रपति बने हुए 4 महीने का भी वक्त नहीं हुआ है और भारतीय आईटी दिग्गजों के लिए वो मुसीबत बन गए हैं। बताया जा रहा है कि भारत के आईटी दिग्गजों को ट्रम्प की पॉलिसी की वजह से अच्छा-खासा नुकसान हुआ है। आपको बता दें कि हिंदुस्तान की आर्थिक प्रगति में आईटी इंडस्ट्री का जबरदस्त योगदान है। ये ही वो वजह है कि भारत में आईटी इंडस्ट्री के सभी दिग्गज देश के सौ सबसे धनी करोड़पतियों की लिस्ट में शामिल हैं। इस बीच अमेरिका में ट्रम्प सरकार बनने के बाद से हिंदुस्तान के आईटी घरानों को काफी नुकसान पहुंच रहा है। आपको याद होगा कि ट्रम्प ने अपने मुल्क की सभी कंपनियों को आदेश दिया था कि पहले अमेरिकी नागरिकों को कंपनी में तवज्जो दी जाए। इस तरह से भारतीय कंपनियों को नुकसान हो रहा है। अमेरिका में ट्रंप सरकार बनने से भारत के सभी बड़े आईटी घरानों को बड़ी चपत लग रही है।
देश के 5वें सबसे अमीर शख्स और विप्रो के चेयरमेन अजीम प्रेमजी की कंपनी के शेयर्स में जबरदस्त गिरावट देखने को मिल रही है। इसके अलावा एचसीएल टेक्नोलॉजीज के चेयरमेन शिव नाडर के शेयर्स में भी बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है। इनके अलावा भी और आईटी दिग्गज हैं जिन्हें नुकसान होता दिख रहा है। इन्फोसिस के तीन संस्थापकों के साथ-साथ नारायणमूर्ति और नंदन निलेकणी को भी तगड़ा झटका लगा है। आपको बता दें कि ये सभी नाम 100 सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में शामिल हैं। बताया जा रहा है कि पिछले कुछ वक्त से आईटी कंपनियों के शेयर में 3 फीसदी की गिरावट देखने को मिल रही है। वो भी ऐसे हाल में जब बेंचमार्क इंडेक्स में 0.6 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। बताया जा रहा है कि इस लिस्ट में इन्फोसिस को सबसे तगड़ा झटका लगा है। इस कंपनी को सबसे ज्यादा नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है।
बेंगलुरु की ये कंपनी ट्रंप प्रशासन के वीजा रिफॉर्म से सबसे ज्यादा नीचे गिरी है। अमेरिका में इस कंपनी में अमेरिकी लोगों का प्रतिशत सबसे कम है। इस वजह से इस कंपनी को नुकसान पहुंचा है। इसके साथ ही आपको बता दें कि डोनाल्ड ट्रम्प सख्त वीजा पॉलिसी के साथ हैं। ट्रम्प ने साफ ऐलान किया था कि अमेरिका में काम करने वाली तमाम आईटी कंपनियों को पहले अमेरिकी नागरिकों को तरजीह देनी होगी। इसके बाद से तो तमाम भारतीय कंपनियों में हड़कंप मच गया था। इसके बाद एच-1 बी वीजा पॉलिसी अपनाई गई और इसके बाद तो भारतीय कंपनियों के बुरे दिन शुरू हो गए। बताया जाता है कि अमेरिकी प्रशासन ने ओरेकल जैसी कंपनी पर भी बड़ी कार्रवाई की है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि जिस तरह से इन्फोसिस का झटका लगा है, उसी तरह से एचसीएल और विप्रो भी ज्यादा प्रभावित होंगे। अब देखना है कि भारत सरकार इस बारे में क्या नया फैसला लेती है।