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फ्लावर भी, फायर भी.. पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाने की 5 बड़ी वजह जानिए

फ्लावर नहीं असली फायर हैं cm pushkar singh dhami , हार के बाद भी क्यों चुने गए मुख्यमंत्री, जानिए 5 बड़ी वजहें-
Mar 22 2022 1:45PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एक बार फिर से उत्तराखंड की बागडोर संभालने जा रहे हैं। जनता की उम्मीदों पर खरे उतरने वाले सीएम धामी सबके चहेते नेता हैं और जनता उन्हीं को सीएम के पद पर देखने के लिए उत्सुक थी। सीएम रेस में धन सिंह रावत, रमेश पोखरियाल निशंक, अनिल बलूनी, सतपाल महाराज जैसे बड़े नेताओं के नाम भी शामिल थे। मगर पार्टी हाईकमान ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को एक बार फिर से उत्तराखंड की बागडोर सौंपने का निर्णय लेकर उत्तराखंड की जनता का दिल जीत लिया है।

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पुष्कर सिंह धामी खुद खटीमा विधानसभा सीट से चुनाव हार गए थे, लेकिन सत्ता में पार्टी की वापसी कराने में कामयाब रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि विधानसभा चुनाव हारने के बाद आखिर बीजेपी ने पुष्कर धामी पर ही क्यों भरोसा जताया? जबकि भाजपा के पास और भी कई ऑप्शन थे और भाजपा उनमें से भी किसी को मुख्यमंत्री बना सकती थी। सबसे पहला और मुख्य कारण था धामी के चेहरे पर चुनाव लड़ना। जी हां जब चुनाव हुए तो उससे पहले सीएम धामी ने पार्टी का जमकर प्रचार प्रसार किया और उनके चेहरे पर ही चुनाव लड़ा गया। ऐसे में भाजपा की जीत के बाद लोगों की उम्मीदें सीएम धामी को एक बार फिर से मुख्यमंत्री के पद पर देखने की हो गईं। बीजेपी पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई में विधानसभा चुनाव मैदान में उतरी थी। धामी भले ही खुद चुनाव हार गए, पर बीजेपी को जिता गए। उत्तराखंड गठन के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी सत्ताधारी पार्टी को राज्य में दोबारा अपनी सरकार बनाने में सफलता मिली हो।

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इसी के साथ सूबे में चुनाव से ठीक पहले छह महीने के अंदर दो बार मुख्यमंत्री बदलने से जनता में भी काफी रोष था और चुनावी बाजी कांग्रेस के पक्ष में जाती दिख रही थी।पुष्कर सिंह धामी को सीएम की बागडोर सौंपने का एक और मुख्य कारण था कि उन्होंने जनता के बीच जाकर जनता के लिए काम किया है।

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तीसरा कारण था युवा नेतृत्व को खड़ा करने का। भारतीय जनता पार्टी ने इस बार युवा नेतृत्व के ऊपर दांव खेलकर जीत अर्जित की है। पुष्कर सिंह धामी की उम्र 46 साल है। भाजपा ने युवाओं का वोट लेने के लिए सीएम धामी को 6 महीने के लिए मुख्यमंत्री का कार्यभार सौंपा था। मुख्यमंत्री बनने के बाद से उन्होंने सूबे में अपनी अलग पहचान बनाई। युवाओं के बीच उनकी काफी लोकप्रियता बढ़ गई। यही भाजपा का टारगेट था। ऐसे में बीजेपी उत्तराखंड में अगली पीढ़ी का नेतृत्व विकसित करना चाहती है। शायद इसलिए भाजपा उम्रदराज नेताओं मदन कौशिक, त्रिवेंद्र सिंह रावत, भुवन चंद्र खंडूरी, सतपाल महाराज और रमेश पोखरियाल निशंक को नहीं बल्कि युवा नेतृत्व को प्रदेश की बागडोर सौंपना चाहती है। माना जा रहा है कि धामी तेज-तर्रार और युवा ऊर्जा के साथ काम कर मजबूत नेता के रूप में उभरे हैं। पुष्कर सिंह धामी को पार्टी एक युवा चेहरे के रूप में देखती है, जिसके चलते उन्हें दोबारा से सत्ता की कमान सौंपी गई है।

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इसके अलावा धामी 'ईमानदार' छवि वाले नेता माने जाते हैं, जिन पर किसी तरह का अभी तक कोई भ्रष्टाचार का आरोप नहीं है। संघ का बैकग्राउंड और ईमानदार छवि को देखते हुए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने उन पर अपना भरोसा जताया है।

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इसी के साथ जो सबसे मुख्य कारण है वह है कि सीएम धामी ने बेहद कम समय में खुद को साबित किया है और जनता के दिल में जगह बनाई है जो कि बड़े-बड़े नेता तक नहीं कर पाए। बीजेपी की 2017 में उत्तराखंड की सत्ता में आने के बाद दो मुख्यमंत्रियों को बदलने के पुष्कर सिंह धामी को सीएम बनाया गया। इस तरह धामी को उत्तराखंड चुनाव 2022 की तैयारी के लिए केवल छह महीने का समय मिला। मुख्यमंत्री बनने के बाद बहुत कम समय में उन्होंने जबरदस्त काम किया। धामी ने 10वीं-12वीं पास छात्रों को मुफ्त टैबलेट, खिलाड़ियों के लिए खेल नीति बनाने, जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाने जैसी योजनाओं का ऐलान किया। ऐसे में पार्टी ने उनपर भरोसा कर हार के बाद भी उनको सीएम बनाया है।


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