image: Harak Singh Rawat said did not want to leave BJP

हरक सिंह रावत को सता रहा बीजेपी छोड़ने का गम, कहा-नहीं छोड़ना चाहता था पार्टी

बहू को टिकट दिलाने के लिए हरक सिंह रावत बीजेपी से लड़ बैठे थे। जिसके चलते बीजेपी ने उन्हें पार्टी और मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
Mar 23 2022 2:45PM, Writer:कोमल नेगी

ना खुदा ही मिला, ना बिसाले सनम…उत्तराखंड की राजनीति का प्रमुख चेहरा रहे डॉ. हरक सिंह रावत को देखकर यही लाइनें याद आ रही हैं। बहू को टिकट दिलाने के लिए हरक सिंह रावत बीजेपी से लड़ बैठे थे। जिसके चलते बीजेपी ने उन्हें पार्टी और मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया। हरक सिंह रावत को बड़ी मुश्किल से कांग्रेस में एंट्री मिल सकी। कांग्रेस ने उनकी बहू अनुकृति गुसांई को लैंसडौन से टिकट भी दिया, लेकिन जिस बहू को हरक अपनी राजनीतिक विरासत सौंपने वाले थे, वह चुनाव नहीं जीत सकी। अब पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को बीजेपी छोड़ने का दुख सता रहा है। विधानसभा चुनाव 2022 के नतीजों ने पूर्व काबीना मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के 40 साल के राजनीतिक अनुभव को भी फेल कर दिया। हरक को उम्मीद थी कि इस चुनाव में 38 से 40 सीटें कांग्रेस के खाते में आएंगी, लेकिन आईं केवल 19 ही।

चुनाव के दौरान बीजेपी पर हमलावर रहे हरक सिंह रावत ने इलेक्शन के बाद साफ शब्दों में कहा कि वह बीजेपी नहीं छोड़ना चाहते थे लेकिन बीजेपी ने उन्हें छोड़ दिया। अब हटा तो कुछ तो करना ही था। उन्होंने कहा कि अब कांग्रेस में हूं तो कांग्रेस कार्यकर्ता की तरह काम करूंगा। रावत ने चुनाव में कांग्रेस की हार की वजहों पर भी बात की। उन्होंने समय पर टिकट घोषित न करने, कमजोर प्रचार रणनीति, जनता तक अपनी बात ले जाने में नाकामी को विस चुनाव में कांग्रेस की हार का अहम कारण बताया है। चुनाव नतीजों के बाद हरक का भविष्य क्या है? इस सवाल के जवाब में हरक ने कहा कि अब वो जनता के लिए संघर्ष करते रहेंगे। बता दें कि चुनाव से ठीक पहले टिकट बंटवारे को लेकर हरक सिंह रावत और बीजेपी में ठन गई थी। जिसके बाद बीजेपी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। बाद में कांग्रेस में शामिल हुए हरक को उम्मीद थी कि कांग्रेस के सत्ता में लौटते ही उनके अच्छे दिन आ जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।


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