उत्तराखंड का बेमिसाल किसान: बिना मिट्टी के उगा दी सब्जियां, साल भर में 1 करोड़ का कारोबार
Digvijay Singh Bora ने साल भर पहले 500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में पॉलीहाउस लगाया। यहां hydroponic technology से उगाई गई सब्जियां बेचकर वो अब तक 1 करोड़ कमा चुके हैं।
Apr 8 2022 8:21PM, Writer:कोमल नेगी
उत्तराखंड में खेती किसानी से लोगों का मोहभंग हो रहा है। जमीन बंजर होती जा रही है, किसान खेती करते हैं तो जानवर फसल तबाह कर देते हैं। ऐसे वक्त में खेती की हाइड्रोपोनिक टेक्निक किसानों के लिए खासी मददगार साबित हो सकती है।
Digvijay Singh Bora grew vegetables hydroponic technology
अल्मोड़ा के रानीखेत में रहने वाले प्रकृति प्रेमी दिग्विजय सिंह बोरा और उनके साथी इसी तकनीक का प्रयोग कर सब्जियों की खेती कर हर साल लगभग एक करोड़ रुपये का कारोबार कर रहे हैं। दिग्विजय सिंह स्याहीदेवी क्षेत्र में रहते हैं। वह पहाड़ी फलों के साथ सब्जी उत्पादन के लिए मशहूर हैं। साल भर पहले उन्होंने 500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में पॉलीहाउस लगाया। उसमें हाइड्रोपोनिक तकनीक से यूनिट तैयार की। यहां उन्होंने सलाद की करीब 8 और अन्य सब्जियां उगानी शुरू कर दी। अब यहां की पौष्टिक और साफ-सुथरी सब्जियां दिल्ली-मुंबई तक पहुंच रही हैं। दिग्विजय सिंह खेती में प्रयोग करते रहते हैं। उन्होंने रेड औटर में कार्यरत अपने साथी अनुभव दास व विकास भसीन के साथ हाइड्रोपोनिक तकनीक से सब्जी उगाने की योजना बनाई। यहां उन्होंने यूनिट लगाकर सलाद में इस्तेमाल होने वाली सब्जियां उगाने का काम शुरू किया। आगे पढ़िए
इन सब्जियों की दिल्ली, मुंबई, लखनऊ जैसे तमाम शहरों और होटलों में जबरदस्त मांग है। तीनों साथियों ने सब्जियों को बेचने के लिए दिल्ली की एक मार्केटिंग कंपनी से करार भी किया। दिग्विजय सिंह बताते हैं कि हाइड्रोपोनिक तकनीक में पानी की खपत कम और बचत ज्यादा है। पानी की थोड़ी मात्रा में ज्यादा उत्पादन होता है। इस विधि से उगाई सब्जियों के पौधों में रोग नहीं लगते। हाइड्रोपोनिक तकनीक से खेती करते वक्त पोषक तत्वों से युक्त पानी के अलावा बालू या कंकड़ की परत बिछाई जाती है। फिर पाइप में निश्चित दूरी पर कई छोटे सुराख में पौधे लगाए जाते हैं। जिनकी जड़ें नाइट्रोजन, कैल्शियम और खनिज पदार्थों की संतुलित मात्रा वाले पानी में फैलने लगती हैं। 100 वर्ग फुट में करीब 200 पौधे लगाए जा सकते हैं। दिग्विजय और उनके साथी एक साल में 1 करोड़ रुपये का कारोबार कर चुके हैं। जबकि यूनिट लगाने में 40 से 50 हजार तक खर्च आया। सालभर की मेहनत के बाद दिग्विजय सिंह बोरा को अच्छे रिजल्ट मिले हैं। अब वह क्षेत्र के ग्रामीणों को भी आधुनिक तकनीक का प्रशिक्षण देने जा रहे हैं, ताकि वो भी पारंपरिक खेती से हटकर अपनी आर्थिकी सुधार सकें।