image: Leopard attack on laborer Sheeshram in Udham Singh Nagar Jaspur

उत्तराखंड: खेत में काम कर रहे मजदूर को गुलदार ने मार डाला, इलाके में दहशत

Udham Singh Nagar के Jaspur में खेत में काम कर रहे laborer शीशराम को Leopard ने मार डाला। इसके बाद से इलाके में दहशत फैली है
Apr 16 2022 4:59PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल

उत्तराखंड के उधम सिंह नगर के जसपुर से मानव वन्यजीव संघर्ष की एक बुरी खबर सामने आ रही है।

Leopard attack on laborer in Udham Singh Nagar Jaspur

यहां पर खेत में गेहूं की कटाई कर रहे मजदूर के ऊपर एक तेंदुए ने हमला कर और उसको गंभीर रूप से घायल कर दिया। घायल मजदूर को अस्पताल ले जाया गया जहां पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मृतक की पहचान 42 वर्षीय शीशराम के रूप में हुई है। शीशराम अपनी पत्नी आशा, अपनी बेटी निशा और अपने बेटे योगेश कुमार के साथ में कुछ ही दूरी पर गांव के संजय चौहान के खेत में फसल काटने के लिए गया था कि तभी अचानक वहां पर तेंदुआ शीशराम पर झपट पड़ा और उसको खींचते हुए दूसरे खेत में ले गया। इसके बाद परिवार वालों के बीच में कोहराम मच गया। परिवार वालों की चीख-पुकार सुन कर उसके परिवार वाले उसको बचाने के लिए दौड़े। शोर-शराबा सुनकर तेंदुआ वहां से भाग निकला। तो वहीं परिजनों का शोर सुनकर ग्रामीण मौके पर पहुंचे और तुरंत ही घायल मजदूर को निजी नर्सिंग होम ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

डॉ नरेश ने बताया कि शीशराम के गले पर तेंदुए के दांतों के निशान नहीं थे मगर उसकी नाक और उसके मुंह से खून निकल रहा था। डॉक्टरों के मुताबिक गले की हड्डी टूटने और दिमाग की नस फटने के कारण मजदूर की मौत हुई। हादसे के बाद से ही शीशराम के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। वह अपने भाइयों में सबसे छोटा था। उसकी बेटी निशा स्नातक और योगेश आईटीआई का छात्र है। लंबे समय से शीशराम एक प्लाईवुड फैक्ट्री में मजदूरी कर रहा था। फसल कटाई के बाद ही उसे प्लाईवुड फैक्ट्री में काम पर जाना था मगर उससे पहले ही तेंदुए ने उसे अपना निवाला बना लिया। तो वहीं हादसे के बाद से ही मजदूर की मौत से ग्रामीणों में दहशत पसर गई है। डर के मारे ग्रामीण अब अपने खेतों पर भी नहीं जा पा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग के अधिकारियों से पिंजरा लगाकर तेंदुए को पकड़ने की गुहार भी लगाई जा चुकी है मगर वन विभाग ने अब तक इस पर कोई भी एक्शन नहीं लिया है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय से वन विभाग के अधिकारी तेंदुए को पकड़ कर जंगल में छोड़ आते तो आज मजदूर की जान नहीं जाती।


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