केदारनाथ हेलीकॉप्टर सेवा के लिए ट्रैफिक कंट्रोल रूम नहीं, अब तक क्रैश हो चुके हैं 7 हेलीकॉप्टर
Kedarnath के लिए helicopter तो चलेंगे लेकिन बिना air traffic control room के.. क्या किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रही है सरकार?
Apr 18 2022 8:09PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
केदारनाथ आपदा के बाद केदारनाथ तक आसानी से पहुंचने के लिए प्रदेश सरकार ने हेलीकॉप्टर सेवा को बढ़ावा देना शुरू तो कर दिया है मगर अब भी केदारनाथ में हेलीकॉप्टर सेवा संचालित होने के दौरान सुरक्षा को लेकर कोई भी कड़े इंतजाम नहीं हो पाए हैं।
no air traffic control room for Kedarnath helicopter
आश्चर्यजनक बात यह है कि आज तक वहां पर एयर ट्रेफिक कंट्रोलर रूम तक स्थापित नहीं किया गया है जिससे कभी भी बड़ी दुर्घटना होने की आशंका हमेशा बनी रहती है। यात्रा सीजन शुरू हो चुका है। अगले महीने से केदारनाथ यात्रा शुरू हो जाएगी। बड़ी संख्या में पर्यटक केदारनाथ पहुंचेंगे। इस बीच हैली सेवाओं की प्री बुकिंग भी कई लोगों ने शुरू कर दी है। मगर बड़ा सवाल यह है कि क्या जो भी लोग हेलीकॉप्टर से केदारनाथ यात्रा कर रहे हैं उनकी जान सुरक्षित है? इसका उत्तर है नहीं। बीते 7 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई केंद्रीय मंत्री एवं मुख्यमंत्री हेलीकॉप्टर से केदारनाथ आते जाते रहते हैं मगर इसके बावजूद भी विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले केदारनाथ क्षेत्र में सुरक्षित हैली सेवा को लेकर कोई भी इंतजाम नहीं हैं। आज तक एयर ट्रेफिक कंट्रोल रूम तक स्थापित नहीं हो पाया है जिससे यहां हवा की दिशा और दबाव की कोई भी जानकारी नहीं मिल पाती है। ऐसे में कभी भी यहां पर एक बड़ी दुर्घटना घट सकती है। मगर इसके बावजूद भी यूकाडा और प्रदेश सरकार इसको गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। दरअसल केदारनाथ समुद्र तल से 11,750 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। आगे पढ़िए
गौरीकुंड से केदारनाथ तक गहरी संकरी घाटी है जिससे गुजरकर हेलीकॉप्टर केदारनाथ पहुंचते हैं। यहां पर हल्की बारिश में चारों तरफ पूरा कोहरा बेहद आम है जो की यात्रा काल के दौरान और अधिक हो जाता है। इसके बावजूद केदारनाथ में धड़ल्ले से हेलीकॉप्टर बिना किसी सुरक्षा के संचालित होते हैं। कंट्रोल रूम के बिना यहां पर हवा की दिशा और दबाव की जानकारी सही से नहीं मिल पाती है। केदारनाथ पुनर्निर्माण के दौरान भी यहां पर एयर ट्रेफिक कंट्रोल रूम की स्थापना तो दूर आज तक किसी ने इस विषय पर चर्चा तक नहीं की है और हैरानी की बात तो यह है कि नागरिक उड्डयन विभाग, उत्तराखंड सिविल एविएशन डेवलपमेंट अथॉरिटी और उत्तराखंड शासन भी कभी इस दिशा में गंभीर नजर नहीं आया है। प्राप्त डाटा के अनुसार मई 2010 से 2018 तक केदारनाथ क्षेत्र में 7 हेलीकॉप्टर क्रैश हो चुके हैं जिनमें सेना के दो हेलीकॉप्टर शामिल है और इस हादसे में 20 जवानों सहित 23 लोगों की मौत हो चुकी है वहीं 7 लोग घायल भी हो चुके हैं। केवल यही नहीं लैंडिंग और टेक ऑफ के दौरान भी केदारनाथ में बीते 6 वर्षों में चार हेलीकॉप्टरों का हवा के दबाव के चलते अनियंत्रित होने से संतुलन बिगड़ गया है। इतने हादसे होने के बावजूद भी ना तो उत्तराखंड सरकार नींद से जाग रही है ना ही यूकाडा। इस मुद्दे पर रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मनुज गोयल का कहना है कि केदारनाथ यात्रा में हेलीकॉप्टरों की गुणवत्ता के साथ ही एयर ट्रेफिक कंट्रोल रूम को लेकर शासन के माध्यम से यूकाडा को पत्र भेजा जा रहा है और इस मामले में सभी हेली कंपनियों को अलग से पत्र भेजकर दिशा निर्देश भी जारी कर दिए हैं।