उत्तराखंड में चमत्कारों का धाम, यहां आते ही संवर गई थी स्टीव जॉब्स-मार्क जुकरबर्ग की किस्मत
जब स्टीव जॉब्स का कारोबार खत्म हो गया था, तब वो बाबा नीम करौली की शरण में पहुंचे। कहते हैं कि बाबा नीम करौली महाराज को खाने में सेब पसंद था, इसलिए स्टीव जॉब्स ने अपने ब्रांड का नाम एप्पल रखा।
Jun 15 2022 5:10PM, Writer:कोमल नेगी
उत्तराखंड में स्थित कैंची धाम मंदिर की ख्याति पूरे विश्व में है।
Story of Kainchi Dham by Steve Jobs and Mark Zuckerberg
ये वो जगह है, जिसने एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग और हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स समेत तमाम भक्तों को आध्यात्म और उन्नति का रास्ता दिखाया। हल्द्वानी से 45 किलोमीटर दूर स्थित इस मंदिर में विश्व प्रसिद्ध बाबा नीम करौली महाराज का विशाल आश्रम है। बाबा नीम करौली महाराज को भगवान का अवतार माना जाता है। उन्हें 20 वीं सदी के महान संतों में गिना जाता है। कहते हैं कि उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव के ब्राह्मण परिवार में जन्मे लक्ष्मी नारायण शर्मा ने यूपी के एक गांव नीम करौली में कठिन तपस्या करके स्वयंसिद्धि हासिल की। इसके बाद बाबा ने पहला आश्रम कैंची धाम नैनीताल जनपद में जबकि दूसरा वृंदावन, मथुरा में बनाया। नीम करौली बाबा 1961 में पहली बार नैनीताल पहुंचे थे।
यहां मंदिर की स्थापना 1964 में की गई। कहा जाता है कि बाबा नीम करौली महाराज का निधन 1973 में हो गया था। उन्होंने वृंदावन में समाधि ली। बाबा नीम करौली महाराज के कई चमत्कार भी लोगों ने देखे हैं। कहते हैं बाबा नीम करौली के पास दिव्य शक्तियां थीं। एप्पल के सीईओ स्टीव जॉब्स की किस्मत भी बाबा के आशीर्वाद से ही पलटी है। एक वक्त था जब स्टीव जॉब्स का कारोबार खत्म हो गया था। तब स्टीव जॉब्स कैंची धाम आए और यहां साधना कर बाबा का आशीर्वाद पाया। कहा जाता है कि बाबा नीम करौली महाराज को खाने में सेब पसंद था, इसलिए स्टीव जॉब्स ने अपने ब्रांड का नाम एप्पल रखा। 15 जून को कैंची धाम का स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है। यहां मेले का आयोजन किया गया है। जिसमें हिस्सा लेने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से कैंची धाम पहुंचे हैं।