एक हिंदुस्तानी की फटकार से सन्न रह गए डोनाल्ड ट्रम्प...अब बदलेंगे अपना फैसला !
Apr 25 2017 4:40PM, Writer:मीत
लग रहा है कि भारत ने अमेरिका की संरक्षण वादी नीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद कर दी है। संरक्षणवाद के खिलाफ अमेरिका को आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने चेतावनी दी है। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल का कहना है कि दुनिया की बड़ी कंपनियों को अगर बाहर का टैलेंट नहीं मिलता तो इन कंपनियों का हश्र क्या होता। दरअसल दुनिया में बड़ा नाम कमा चुकी कुछ अमेरिकी कंपनियों के लिए कहा जाता है कि बाहर के देशों के टैलेंट की वजह से इन कंपनियों का कायाकल्प हुआ है। यही बात आरबीआई गवर्नर ने अमेरिकी राष्ट्रपति को समझाने की कोशिश की है। आरबीआई गवर्नर का कहना है कि ऐपल, सिस्को और आईबीएम जैसी दिग्गज अमेरिकी कंपनियों ने अगर दुनियाभर में बड़ी जगह बनाई है तो वो बाहर के टैलेंट की वजह से ही संभव हुआ है। इसके अलावा भी आरबीआई गवर्नर ने इस बारे में कुछ और भी बड़ी बातें कही हैं।
उन्होंने कहा कि अगर बाहर के टैलंट और प्रोडक्ट्स को तवज्जो नहीं दी गई होती तो अंदाजा लगाना चाहिए कि वो कंपनियां कहां होती। इसके साथ ही उनका कहना है कि खुली कारोबारी व्यवस्था से ही हर मुल्क का विकास हुआ है। यानी उनका कहना है कि कोई कारोबार तभी सफल हो सकता है, जब बाहर के टैलेंट को मौका दिया जाए। कारोबार के लिए खुली नीति होनी चाहिए। उनका कहना है कि है खुली कारोबार की व्यवस्था से ही दुनिया का भी फायदा हुआ है। पटेल ने ये सारी बातें संरक्षणवादी नीतियों को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कही। उनका कहना है कि अमेरिका समेत दुनिया की जितनी भी कुशल कंपनियां हैं, वो ग्लोबल सप्लाई चेन की वजह से ही इतनी आगे बढ़ सकी हैं। उन्होंने इसके बाद कहा कि अगर ऐसा नहीं होता तो अमेरिका को सोचना चाहिए कि ऐपल आज कहां होता, सिस्को जैसी कंपनी आज कहां होती, आईबीएम जैसी कंपनी आज कहां होती।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इन कंपनियों ने अगर दुनियाभर से प्रोडक्ट और टैलेंट को अपनाया नहीं होता तो शायद इस हालत में ये कंपनियां नहीं होती। दरअसल ट्रम्प कह चुके हैं कि अमेरिका में सबसे पहले अमेरिकी को ही नौकरी दी जानी चाहिए। इसके बाद तो खबर ये भी आई थी कि अमेरिकी प्रशासन ने बड़ी टेक कंपनी ओरेकल पर कार्रवाई की थी। इसके साथ ही अमेरिका में तमाम कंपनियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि अमेरिकी कंपनियों को सबसे पहले अमेरिकियों को ही हायर करना होगा। कुल मिलाकर कहें तो डोनाल्ड ट्रम्प की इस नीति का विरोध भारत अब खुले लफ्जों में करने लगा है। अब देखना होगा कि ट्रम्प आगे चलकर इस बात पर क्या बयान देते हैं। हालांकि माना जा रहा है कि अमेरिका इस मामले में कुछ ढीलाई बरत सकता है। माना जा रहा है कि जल्द ही ट्रम्प अपने मुल्क में अधिकारियों की बड़ी मीटिंग भी बुला सकते हैं और एच 1 बी वीजा के संबंध में कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं।