image: Rare microscopic algae found in Badrinath Naradkund

बदरीनाथ में मिली दुनिया की सबसे दुर्लभ शैवाल, बायोडीजल बनाने में मिल सकती है मदद!

बदरीनाथ में तप्तकुंड के नीचे स्थित नारद कुंड की दीवार से शैवाल के नमूने लिए थे। इस दुर्लभ प्रजाति के सूक्ष्म शैवाल मिलने के बाद बायो डीजल बनाने में मदद मिल सकती है।
Jul 13 2022 10:38AM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल

एचएनबी गढ़वाल (केंद्रीय) विश्वविद्यालय के वनस्पति एवं सूक्ष्म जैविकी (बॉटनी एंड माइक्रोबायोलॉजी) विभाग ने अपने नाम बड़ी उपलब्धि की है।

Rare microscopic algae found in Badrinath

उन्होंने बदरीनाथ के नारद कुंड में दुर्लभ प्रजाति के सूक्ष्म शैवाल (काई) की खोज की है। यह शैवाल अभी तक भारत के गुजरात प्रदेश सहित दो देशों में ही पाया गया है। सूडोबोहलिनिया नामक यह सूक्ष्म शैवाल बायो डीजल (जैव ईंधन) का सर्वोत्तम विकल्प बन सकता है। दरअसल गढ़वाल विवि के बॉटनी एंड माइक्रोबायोलॉजी विभाग के सहायक प्रो. डॉ. धनंजय कुमार के निर्देशन में शोध कर रही प्रीति सिंह ने दुर्लभ प्रजाति के सूक्ष्म शैवाल को खोजने के साथ ही इसकी उत्पादकता का विश्लेषण किया है। उन्होंने बदरीनाथ में तप्तकुंड के नीचे स्थित नारद कुंड की दीवार से शैवाल के नमूने लिए थे। इस कुंड में तप्त कुंड का गर्म पानी गिरता है। पानी का तापमान 30 से 40 डिग्री सेल्सियस रहता है। दीवार से नमूने लेने के बाद उन्होंने विभाग की प्रयोगशाला में इसका उत्पादन किया। एक साल तक चले अध्ययन में उन्हें सामान्य शैवाल के साथ ही चार सूक्ष्म शैवाल की प्रजातियां मिलीं। इनमें तीन तो अन्य जगहों पर देखी गईं थीं लेकिन एक प्रजाति बिल्कुल अलग मिली।आगे पढ़िए

लगभग 5 माइक्रोमीटर के इस शैवाल की बाहरी सतह पर कांटों के समान आकृति देखी गई। यह प्रजाति इससे पूर्व वर्ष 1980 में गुजरात में देखी गई थी। साथ ही वर्ष 1966 में अमरीका और वर्ष 1987 में बंग्लादेश में भी इसे देखा गया था। इसके अंदर सबसे अधिक मात्रा में लिपिड होता है जो कि डीजल बनाने में सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है। इसमें मौजूद शैवाल तेजी से फैलता है और इसमें लिपिड (वसा) की भी अच्छी खासी मात्रा होती है। विश्वविद्यालय की एल्गल लैब में शोधकर्ताओं ने लगभग 109 प्रजाति के शैवालों में लिपिड का तुलनात्मक अध्ययन किया। सामान्यतया शैवाल में 25 से 30 फीसदी लिपिड मिलता है। वहीं, सूडोबोहलिनिया में सामान्य परिस्थिति में सबसे अधिक 33 फीसदी लिपिड मिला। अनुकूल वातावरण मिलने पर लिपिड की मात्रा काफी बढ़ गई जो बायो डीजल बनाने के लिए काफी बेहतर है। लिपिड ही बायो डीजल का प्रमुख स्रोत है। देश में पेट्रोलियम ईंधन की सीमित मात्रा को देखते हुए विकल्प के तौर पर सरकार बायो डीजल पर जोर दे रही है।


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