उत्तराखंड मांगे भू-कानून: अवैध कब्जो से भरा नैनीताल, विकास कार्यों के लिए जमीन ही नहीं बची
भविष्य की विकास योजनाओं के लिए नैनीताल व आसपास के जंगलों को बड़े पैमाने पर काटना पड़ेगा। जिसका सीधा असर नैनीताल के पर्यावरण पर पड़ेगा।
Jul 14 2022 8:51PM, Writer:कोमल नेगी
सरोवर नगरी नैनीताल...यहां की खूबसूरती सैलानियों को खूब आकर्षित करती है।
No land left for development works in Nainital
देश-दुनिया के लाखों पर्यटक हर साल तालों के इस शहर का दीदार करने आते हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि अब इस शहर में विकास संबंधी कामों के लिए जमीन ही नहीं रही। वजह है अवैध कब्जे। शहर में केवल ढाई एकड़ ही सरकारी जमीन (राजस्व विभाग एवं नगर पालिका परिषद के स्वामित्व वाली) खाली रह गई है। नैनीताल का मास्टर प्लान बना रही एजेंसी ने यह बिंदु अपनी रिपोर्ट में रखा है। रिपोर्ट में एजेंसी ने लिखा की शहर में काफी बड़ी जमीन पर अवैध कब्जे किए गए हैं। जिसे खाली करवाने की भी जरूरत है ताकि आम जनता के हित में विकास योजनाओं का खाका तैयार हो सके। एक अनुमान के मुताबिक साल 2041 तक नैनीताल की जनसंख्या एक लाख तक हो जाएगी। आबादी बढ़ने के साथ ही यहां स्वास्थ्य, पेयजल की मांग भी बढ़ेगी
ऐसे में भविष्य की विकास योजनाओं के लिए जमीन की जरूरत पूरी करने को नैनीताल व आसपास के जंगलों को बड़े पैमाने पर काटना पड़ेगा। जिसका सीधा असर नैनीताल के पर्यावरण पर पड़ेगा। ग्लोबल वॉर्मिंग को लेकर बढ़ती चिंताएं पहले ही नैनीताल के पर्यावरण को प्रभावित कर रही हैं। ऐसे में विकास योजनाओं के लिए जंगलों को काटना ही एकमात्र विकल्प रह जाएगा। एजेंसी के नियोजक देवांग पांडे कहते हैं कि मास्टर प्लान संबंधी रिपोर्ट में सभी बिंदुओं को शामिल किया जा रहा है। भविष्य में विकास योजनाओं के लिए भूमि की कमी नजर आ रही है। सर्वे में काफी अधिक सरकारी भूमि पर कब्जे भी मिले हैं। इसे लेकर जिला विकास प्राधिकरण के सचिव पंकज उपाध्याय का कहना है कि यहां भूमि की कमी एक बड़ी दिक्कत है। बढ़ती आबादी के अनुसार यहां पेयजल, आवास एवं स्वास्थ्य सहित अन्य आधारभूत सुविधाएं भी जुटानी होंगी। मास्टर प्लान में इन सुविधाओं के विस्तार को लेकर कवायद की जा रही है।