उत्तराखंड की अंजलि, झारखंड की अंकिता..दो बेटियों के लिए देश मांग रहा है इंसाफ
सबसे ज्यादा ताज्जुब की बात तो यह है कि अपने आप लिबरल और फेमिनिस्ट कहने वाले लोग इस घटना पर चुप हैं
Aug 30 2022 2:25PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
धर्म जब सिर पर चढ़कर नाचने लगता है तो उसकी कीमत मासूमों को चुकानी पड़ती है। हाल ही में पूरे देश में तब हाहाकार मच गया जब तन सिर से जुदा वाले समुदाय के दो व्यक्तियों ने उदयपुर में एक मासूम टेलर की हत्या कर दी।
Jharkhand Ankita Murder
अब ऐसी सोच के लोग हमारी बेटियों पर भी निशाना साध रहे हैं। वे उनको अपने प्यार में फंसाते हैं और उनकी बात नहीं माने जाने पर उनके साथ जानवरों जैसा बर्ताव करते हैं और उनकी क्रूरता से जान ले लेते हैं। झारखंड में बेरहम शाहरुख के हाथों जली अंकिता अब इस दुनिया में नहीं है। अंकिता दम तोड़ चुकी है और आश्चर्य की बात यह है कि अंकिता की मृत्यु के बाद उसको न्याय मिलने में भी देरी लग रही है। अंकिता का हत्यारा शाहरुख जब पुलिस कस्टडी में जा रहा था तब वह मंद मंद मुस्करा रहा था। यही मुस्कुराहट आगे जाकर हजारों बेकसूरों की जान के ऊपर एक बड़ा खतरा है। वे लोग हमें मार कर गर्व करते जाएंगे और हम चुपचाप बैठे रहेंगे। सोशल मीडिया पर अंकिता का अंतिम बयान जोरों शोरों से वायरल हो रहा है जिसमें अंकिता ने बताया कि कैसे शाहरुख ने उसको उसी के घर में आकर जिंदा जला डाला। आगे पढ़िए
Uttarakhand Anjali Arya Murder
इसी कड़ी में एक और नाम जुड़ा हुआ है उत्तराखंड की अंजली का। देवभूमि में भी ऐसी सोच वाले बेटियों को शिकार बनाने का सिलसिला जारी रखे हुए है। उत्तराखंड में अब मासूम अंजलि का शव 24 दिन के बाद मिला है। अंजलि का हत्यारा और कोई नहीं बल्कि यामीन अहमद है। अंजलि का कसूर सिर्फ इतना था कि उसने यामीन अहमद से प्यार कर लिया था। उसी के कहने पर वह अपने घर से 3 अगस्त को गायब हो गई थी। वह अपने घर से कॉलेज जाने की बात कहकर निकली थी मगर वह वापस नहीं आई तो परिजनों ने उसकी रिपोर्ट दर्ज कराई और 24 दिनों के बाद अंजलि का शव घर वापस लौटा। अंजलि को यामीन से प्यार था। जब उसने यामीन के ऊपर शादी का दबाव बनाया तो यामीन परेशान हो गया और उसने अंजली का गला काट कर उसको हमेशा हमेशा के लिए चुप करा दिया। झारखंड की अंकिता और उत्तराखंड के अंजलि की तरह ही लाखों लड़कियां हैं जो कि इन लोगों के लिए सॉफ्ट टारगेट है। मगर सबसे ज्यादा ताज्जुब की बात तो यह है कि अपने आप लिबरल और फेमिनिस्ट कहने वाले लोग इस घटना पर चुप हैं क्योंकि इस हत्या के पीछे कोई भी हिंदू नहीं है और जब हत्यारा हिंदू नहीं होता है तो इन लोगों की जबान पर अपने आप ही ताले पड़ जाते हैं, इसके बाद यह लोग ना तो ट्विटर पर जस्टिस की मांग करते हैं और ना ही पीड़िता को न्याय दिलाने की कोई भी कोशिश करते हैं। यह लोग बस अपने मुंह पर उंगली रख कर तमाशा देखते हैं और इंतजार करते हैं एक और हत्या का....