नरेंद्र मोदी ने रचा इतिहास…’स्पेस डिप्लोमेसी’ ने जीत ली दुनिया !
Apr 30 2017 9:22PM, Writer:Shantanu
पीएम मोदी जल्द ही एक नई कूटनीति अपनाने जा रहे हैं। अंतरिक्ष कूटनीति , जी हां ये हैरान करने वाला है लेकिन मोदी की दूरदर्शी सोच का नतीजा है। इस के तहत भारत एशियाई देशों के लिए 450 करोड़ रुपये की समतापमंडलीय कूटनीति अपना रहा है। बता दें कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारतीय तकनीक की पूरी दुनिया में तारीफ हो रही है। अब इस नई कूटनीति के तहत भारत इसी हफ्ते दक्षिण एशिया उपग्रह के जरिए पड़ोसी देशों को एक नया उपग्रह उपहार में देने वाला है। मन की बात कार्यक्रम के 31वें एपिसोड में पीएम मोदी ने इस योजना का जिक्र किया था। सरकार की इस कूटनीति के बारे में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने जानकारी देते हुए बताया कि भारत अपने पड़ोसी देशों के लिए अपना दिल खोल रहा है।
सबसे अहम बात ये है कि इस योजना में किसी भी पड़ोसी देश का खर्च नहीं होगा। संचार उपग्रह के ‘उपहार’ का अंतरिक्ष जगत में कोई और सानी नहीं है। बता दें कि फिलहाल जितने भी क्षेत्रीय संघ हैं वे सभी व्यवसायिक हैं और उनका मकसद मुनाफा कमाना है। मोदी सरकार की इस योजना से जुड़े इंजीनियर प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबका साथ सबका विकास के नारे को भारत के पड़ोसी देशों तक विस्तार दे दिया है। इस योजना के तहत 5 मई को बंगाल की खाड़ी के पास श्रीहरिकोटा से इसरो का नॉटी बॉय अपने 11वें मिशन पर जाएगा। नॉटी बॉय अपने साथ शांति का पैगाम लेकर जाएगा। इसका कुल वजन 412 टन है और इसकी लंबाई लगभग 50 मीटर है। ये रॉकेट अपने साथ दक्षिण एशिया उपग्रह लेकर जएगा। बता दें कि इसरो अभी भी इसे जीसैट-9 कहना पसंद करता है।
अब आपको इस उपग्रह के बारे में जानकारी दे दें। 2230 किलोग्राम का ये उपग्रह तीन साल में बन कर तैयार हुआ है। 235 करोड़ रुपये की लागत वाला ये उपग्रह पूरी तरह संचार उपग्रह है। ये उपग्रह अंतरिक्ष आधारित टेक्नॉलजी के बेहतर इस्तेमाल में मदद करेगा। पीएम मोदी की इस कूटनीति का फायदा निश्चित तौर पर भारत को होगा। केंद्र सरकार के मुताबिक उपग्रह टेलिकम्यूनिकेशन और प्रसारण संबंधी सेवाओं टीवी, डीटीएच, वीसैट, टेलिमेडिसिन, टेलिएजुकेशन और आपदा प्रबंधन में सहयोग को संभव बनाएगा। इस उपग्रह में भागीदार देशों के बीच हॉट लाइन सेवा भी उपलब्ध करवाने की क्षमता है। बता दें कि ये क्षेत्र भूकंप, चक्रवातों, बाढ़, सुनामी के खतरे को झेलता रहा है औऱ काफी संवेदनशील है इसलिए ये उपग्रह आपदा के समय पर जरूरी कम्यूनिकेशन लिंक बनाने में भी मदद कर सकता है। साफ है कि उपहार के जरिए भारत ने न केवल अंतरिक्ष में लंबी छलांग लगाई है बल्कि पड़ोसी देशों को अपना मुरीद भी बना लिया है।