पौड़ी गढ़वाल बस हादसे में अब तक 33 लोगों की मौत, 30 गांवों में पसरा मातम..नहीं मनाया दशहरा
जिस युवक की शादी में शामिल होने के लिए बाराती हरिद्वार से पौड़ी जा रहे थे, उसकी शादी भी अधूरी रह गई। वर और कन्या पक्ष वालों का हादसे के बाद रो-रोकर बुरा हाल है।
Oct 6 2022 1:12PM, Writer:कोमल नेगी
पौड़ी में हुए भीषण सड़क हादसे के बाद उत्तराखंड के 30 गांवों में मातम पसरा है। मंगलवार को यहां बारातियों से भरी बस खाई में गिर गई। दुर्घटना में 33 लोगों की जान चली गई।
Pauri Garhwal Bus Accident 33 Death
इस हादसे के बाद नयागांव, रसूलपुर, आर्यनगर, कांगड़ी, गैंडीखाता सहित आसपास के 30 से ज्यादा गांवों में मातम पसरा हुआ है। इन गांवों में दशहरा भी नहीं मनाया गया। हर वर्ष लालढांग के गांधी चौक पर रावण का पुतला दहन किया जाता था। लेकिन इस दुर्घटना के बाद बुधवार को लालढांग और आसपास के गांव में रावण का पुतला दहन नहीं किया गया। जिस युवक की शादी में शामिल होने के लिए बाराती हरिद्वार से पौड़ी जा रहे थे, उसकी शादी भी अधूरी रह गई। युवक और कन्या पक्ष वालों का हादसे के बाद रो-रोकर बुरा हाल है। बुधवार को सुबह से ही लालढांग निवासी संदीप के घर ग्रामीणों का जमावड़ा लगा रहा। दुर्घटना की सूचना के बाद क्षेत्र के मीठीबेरी, कटेबड़ समस्तपुर, डालूपुरी, चमरिया, मोहल्लापुरी, मऊखता गांव में मातम है। ग्रामीण बेहद गमगीन हैं। आगे पढ़िए
बीते दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सिमड़ी, पौड़ी में हुई बस दुर्घटना स्थल का जायजा लिया। इस अवसर पर उनके साथ पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने रेस्क्यू कर रहे एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, फायर ब्रिगेड, स्थानीय पुलिस, राजस्व पुलिस और इस कार्य में लगे विभिन्न विभागीय कार्मिकों को तेजी से रेस्क्यू कार्य करने के निर्देश दिए। प्रभावित परिवारों से मुलाकात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि घायलों को उचित उपचार दिया जा रहा है। राज्य सरकार की ओर से प्रभावितों को हर संभव मदद दी जायेगी। बता दें कि मंगलवार को हरिद्वार से पौड़ी जा रही बारातियों से भरी बस गहरी खाई में जा गिरी। हादसे में 33 लोगों की मौत हो गई, जबकि 18 लोग घायल हैं। उधर बुधवार को दूल्हा संदीप भी शाम पांच बजे बिना दुल्हन के गांव पहुंचा। संदीप हादसे से टूट गया है, लेकिन उसकी खामोशी नहीं टूट रही। शादी वाले गांव में विजयदशमी की खुशियों की जगह मातम छाया है। गांव में अधिकतर घरों में चूल्हे नहीं जले। हादसे के बाद शादी वाले घर की खुशियां मातम में बदल गई हैं।