image: Earthquake landslide fear in 5 districts of Uttarakhand

उत्तराखड के 5 जिलों में भूकंप-भूस्खलन का खतरा, वैज्ञानिकों ने दिया बड़ी आपदा का संकेत

अभी तक आए कम तीव्रता वाले भूकंप से कोई नुकसान तो नहीं हुआ, लेकिन ये किसी आने वाली आपदा का संकेत जरूर हो सकते हैं।
Oct 20 2022 8:10PM, Writer:कोमल नेगी

उत्तराखंड में पिछले लंबे वक्त से भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं। कभी पिथौरागढ़ में धरती कांपती है तो कभी उत्तरकाशी-बागेश्वर में जमीन हिलने लगती है।

fear of Earthquake landslide in uttarakhand

छोटे भूकंप से कोई नुकसान तो नहीं हुआ, लेकिन ये किसी आने वाली आपदा का संकेत जरूर हो सकते हैं। वैज्ञानिक भी यही कह रहे हैं। वैज्ञानिकों ने कुमाऊं और गढ़वाल रीजन में बड़े भूकंप की भी आशंका जताई है। कुमाऊं विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने उत्तराखंड में 10 से अधिक संवेदनशील स्थानों से आंकड़े एकत्र कर ये रिपोर्ट तैयार की है। वैज्ञानिकों के मुताबिक उच्च हिमालयी जोन भूकंप और भूस्खलन के लिए अति संवेदनशील बना हुआ है। प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर लगातार आ रहे छोटे भूकंप इसकी चेतावनी दे रहे हैं। भू-वैज्ञानिक डॉ.संतोष जोशी बताते हैं 1991 से अब तक प्रदेश में तीन हजार से अधिक भूकंप आए हैं। राहत की बात ये है कि सभी 6.5 मैग्नीट्यूड से कम तीव्रता के थे और जमीन के भीतर 8 से 25 किमी तक ही इनका असर था।

इस कारण बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन भविष्य में बड़ा भूकंप आ सकता है। बागेश्वर के कपकोट, पिथौरागढ़, धारचूला, चमोली, उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग को लेकर शोधकर्ताओं ने चिंता जाहिर की है। ये क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील बने हुए हैं। वर्ष 1802 में उत्तरकाशी में बड़ा भूकंप आया था। जिसमें कई मकान ढह गए। इस दौरान बड़ी जनहानि भी हुई। इसके बाद से बड़ा भूकंप नहीं आया है। अब बड़े भूकंप की संभावना बनी हुई है। कुमाऊं विवि के शोधकर्ताओं की टीम ने उत्तराखंड में 11 से अधिक स्थानों पर भूकंपमापी यंत्रों के आंकड़े जुटाकर अध्ययन किया है। जिसमें कई चिंताजनक बातें सामने आई हैं। भूकंपमापी यंत्र कालाखेत, रानीखेत, मासी, देवाल, धारचूला, पांगला, पिथौरागढ़, बागेश्वर, फरसाली, मुनस्यारी, तोली, भराड़ीसैंण और भू-गर्भ विज्ञान विभाग कुमाऊं विवि और नैनीताल में लगाए गए हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रदेश के कई क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील बने हुए हैं। ऐसे में शासन-प्रशासन को समय से इसके नुकसान से निपटने को निर्णय लेने होंगे।


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