उत्तराखंड के पवित्र जोशी को भांग की खेती से मिला आइडिया, हिट हुआ बिजनेस..मुनाफा भी शानदार
भांग की खेती से कायम की स्वरोजगार की मिसाल, उत्तराखंड के पवित्र जोशी का बिज़नेस मॉडल है हिट, कई किसानों को अपने साथ जोड़ा
Oct 24 2022 6:51PM, Writer:कोमल नेगी
उत्तराखंड में उगने वाला भांग विदेश में एक अलग पहचान बना रहा है। भांग केवल चटनी तक ही सीमित नहीं है।आप यह जानकर अचंभित रह जाएंगे कि उत्तराखंड में उगने वाली भांग की वैश्विक स्तर पर खूब डिमांड है और इसका इस्तेमाल कई प्रॉडक्ट्स बनाने में होता है।
Almora Pavitra Joshi Hemp cultivation
आज हम आपको एक ऐसे प्रतिभाशाली और महत्वकांक्षी युवा से परिचित करवाने जा रहे हैं जिन्होंने उत्तराखंड के भांग को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान दी है और वे उत्तराखंड की भांग के साथ प्रयोग कर इंटरनेशनल मार्केट में उसका इस्तेमाल कर रहे हैं और स्वरोजगार की नई मिसाल पेश कर रहे हैं। हम बात कर रहे हैं अल्मोड़ा, उत्तराखंड के रहने वाले पवित्र जोशी की जिन्होंने यह साबित कर दिखाया है कि भांग केवल खाने के लिए इस्तेमाल नहीं की जाती। उन्होंने भांग को लेकर पैदा हुई भ्रांति को तोड़ने का काम किया जो कि सराहनीय है। उनके स्टार्टअप ‘कुमाऊँ खंड’ भांग के कई प्रॉडक्ट्स तैयार करता है। उनका यह सोशल बिज़नेस मॉडल धूम मचा रहा है और पवित्र जोशी के बिजनेस मॉडल को लोगों द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है। न केवल में उत्तराखंड के लोकल प्रोडक्ट को वैश्विक स्तर पर एक अनोखी पहचान दे रहे हैं उसी के साथ में उत्तराखंड के नाम को भी रोशन कर रहे हैं और अपने स्वरोजगार से कई लोगों को रोजगार प्रदान कर रहे हैं। पवित्र जोशी ने मुंबई के टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान से सामाजिक उद्यमिता विषय में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री ली हुई है। पवित्र ने बताया कि पढ़ाई के दौरान उनको एक प्रोजेक्ट पर काम करने का टास्क मिला। क्योंकि उनका विषय सामाजिक विज्ञान से जुड़ा था तो उनको एक ऐसा प्रोजेक्ट करना था जो कि सामाजिक तौर पर लोगों से जुड़े और सामाजिक छाप छोड़े और समाज में बदलाव लाने का काम करे। पवित्र कहते हैं कि मूल रूप से पहाड़ का होने के नाते वो उत्तराखंड के लिए कुछ अलग करना चाहते थे। वे कोई ऐसा काम करना चाहते थे, जिससे पहाड़ के लोगों की जीवनशैली में बदलाव आये और रोज़गार के अवसर पैदा हों।उन्होंने बताया कि 2018 में उत्तराखंड सरकार ने भांग की खेती को मंजूरी दी थी। इस दौरान उनके दिमाग में भांग को वैश्विक स्तर पर एक अलग पहचान देने का आइडिया आया। आगे पढ़िए
Pavitra Joshi Hemp Cultivation
पवित्र ने अल्मोड़ा से लेकर बागेश्वर तक फ़ील्ड सर्वे शुरू किया। उन्होंने शोध में पाया कि विदेशों में फ़ूड इंडस्ट्री से लेकर फैब्रिक इंडस्ट्री में भांग का इस्तेमाल हो रहा है। गाड़ी बनाने के लिए प्लास्टिक की जगह भांग के रेशे का इस्तेमाल होता है। इसके बीज से ईंधन भी बनाया जा रहा है। इसलिए उन्होंने भांग से ही अपने सोशल बिज़नेस स्टार्टअप की शुरुआत की। कॉलेज टाइम में ही पवित्र ने अपने इस प्रोजेक्ट की शुरुआत कर दी थी। एक साल तक पायलट प्रोजेक्ट चलाया और फिर रिसर्च में लग गए। 2019 में उन्होंने भांग का नमक और हेम्प सीड ऑयल मार्केट में उतारा। पवित्र ने बताया कि उनके इन दो प्रॉडक्ट्स को अच्छा रिस्पॉन्स मिला। इस तरह कई और प्रॉडक्ट्स उन्होंने बनाने शुरू किए। आज उनके स्टार्टअप के अंदर चार कैटेगरी में भांग के प्रोडक्ट अवेलेबल है। चार केटेगरी हैं फ़ूड, फैशन, कन्स्ट्रक्शन और पर्सनल एंड हेल्थ केयर। इन चार कैटेगरी में उनके प्रॉडक्ट्स बनते हैं। फ़ूड केटेगरी में हेम्प सीड ऑयल, भांग का नमक, प्रोटीन पाउडर, हेम्प हार्ट्स आते हैं।फैशन केटेगरी में हेम्प टी-शर्ट्स और हेम्प मास्क हैं। भांग के पौधे से रेशा निकालकर उससे धागा तैयार करके टी-शर्ट्स और मास्क तैयार करते हैं।कन्स्ट्रक्शन केटेगरी में होम स्टे तैयार किया गया है। पवित्र बताते हैं कि होम स्टे, भांग डंठल से बना होने के कारण इसमें दीमक नहीं लगता। आग और पानी का भी इस पर असर नहीं होता। इसे बनाने में लागत भी कम आती है। पवित्र कहते हैं कि उत्तराखंड एक पर्यटक स्थल है। यहां कन्स्ट्रक्शन केटेगरी में बहुत संभावनाएं हैं। पर्सनल एंड हेल्थ केयर में हेम्प का शैम्पू बार, क्रीम, बॉडी लोशन और सीबीडी ऑयल बनाते हैं। आगे पढ़िए
Pavitra Joshi Almora Hemp Cultivation
पवित्र ने बताया कि भांग का पौधा 14 से 20 फ़ीट की ऊंचाई तक जाता है। बांस के पौधे से इसकी तुलना की जा सकती है। जैसे बांस से कई प्रॉडक्ट्स तैयार किये जाते हैं, वैसे ही भांग से भी करीब 25 हज़ार से भी ज़्यादा प्रॉडक्ट्स बनाए जा सकते हैं। भांग के पौधे से निकलने वाला रेशा भी काफ़ी मजबूत होता है और इसकी खेती में पानी की भी कम खपत होती है। इसको जानवर भी नुकसान नहीं पहुंचाते। कुल मिलाकर भांग एक बेहद लो मेंटिनेस वाला पौधा है मगर इससे 25 हजार से भी ज्यादा प्रॉडक्ट्स बन सकते हैं और मार्केट में यह अपनी एक अलग पहचान बना सकता है। उनके स्टार्टअप कुमाऊँ खंड के साथ पिथौरागढ़, बागेश्वर और अल्मोड़ा ज़िले के करीबन 300 से ज़्यादा किसान जुड़े हैं। इनसे वो भांग की उपज खरीदते हैं। इसके अलावा, पिथौरागढ़, बागेश्वर, अल्मोड़ा और नैनीताल से 10 स्वयं सहायता समूह भी उनके साथ जुड़े हुए हैं। उत्तराखंड में भांग को एक इंटरनेशनल प्रोडक्ट बनाने की अपार संभावनाएं इसलिए भी हैं क्योंकि यहां पर सरकार ने भांग की खेती को वैध कर रखा है। 2018 में राज्य सरकार ने भांग की खेती करने की अनुमति प्रदान कर दी थी। तब से यहां पर नियंत्रित और विनियमित तरीके से भांग की खेती की जाती है। उत्तराखंड सरकार खुद औद्योगिक हेम्प की खेती को एक बिजनेस मॉडल के रूप में बढ़ावा दे रही है।