पहाड़ के पौसारी गांव से दुखद खबर, ततैयों ने 2 भाईयों पर किया हमला..एक भाई की मौत
प्रदेश में ऐसी घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। अगस्त में भी ततैयों के हमले में 11 साल के मासूम की मौत हो गई थी।
Nov 13 2022 5:08PM, Writer:कोमल नेगी
पर्वतीय जिलों में बाघ-गुलदार पहले ही दहशत का सबब बने हुए हैं और अब ततैये भी मासूमों की जान लेने लगे हैं। बागेश्वर में एक ऐसी ही घटना सामने आई है।
Wasps attacked two children in Bageshwar
यहां कपकोट तहसील के पौसारी गांव में घर के आंगन में खेल रहे दो सगे भाईयों पर ततैयों ने हमला कर दिया। हमले में दोनों बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए। घबराए हुए परिजन दोनों को तुरंत अस्पताल ले गए, लेकिन एक बच्चे की उपचार के दौरान मौत हो गई। घटना के बाद गांव में दहशत का माहौल है, लोग डरे हुए हैं। घटना गुरुवार की है। दोपहर में करीब 3 बजे भूपेश राम के दोनों बेटे पांच वर्षीय प्रियांशु तथा तीन वर्षीय सागर घर के आंगन में खेल रहे थे। तभी ततैयों ने उन पर हमला कर दिया। जिसके बाद दोनों भाई बुरी तरह रोने लगे। काफी देर बाद जब इसकी सूचना परिजनों को मिली तो वो उन्हें इलाज के लिए अस्पताल लाए।
रात के वक्त बच्चों को जिला अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान 3 साल के सागर की मौत हो गई। जबकि प्रियांशु को शुक्रवार को उपचार के बाद घर भेज दिया गया। परिजनों ने बताया कि मासूम सागर आंगनबाड़ी में पढ़ने जाता था। जब से उसकी मौत हुई है, पूरे परिवार में कोहराम मचा है। माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। बहरहाल पुलिस ने पंचनामा भरकर शव परिजनों को सौंप दिया है। मामले में आगे की कार्रवाई जारी है। उत्तराखंड में ततैयों के हमले की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। अगस्त में भी ततैया के काटने से 11 साल के मासूम की मौत हो गई थी। अब कुछ जरूरी टिप्स नोट कर लें।
अगर घर में किसी को ततैया काट ले तो प्रभावित हिस्से को एंटी सेप्टिक सॉल्यूशन सेवलॉन, डिटॉल या साबुन से अच्छी तरह साफ कर लें।
एंटी एलर्जिक दवाओं का सेवन किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।
बेकिंग सोडा के अलावा शहद और तुलसी भी कीड़ों के काटने पर एक प्रभावी प्राकृतिक उपचार है।
ततैया के काटने से स्किन लाल हो जाती है या सूजन आ जाती है तो उस जगह पर फौरन बर्फ मलें। इससे जलन कम होगी और सूजन भी दूर होगी।
एक और बात याद रखें। ततैया या मधुमक्खी के काटने पर लोहा घिसने जैसी नीम-हकीमी के चक्कर में न पड़ें, इससे इन्फेक्शन का खतरा बढ़ता है। तेज एलर्जिक रिऐक्शन एनाफायलैक्सिस हो सकता है। इसलिए तुरंत डॉक्टर की मदद लें।