सनकी तानाशाह के दिमाग में सबसे खतरनाक चाल...अब दोस्त बनाकर मचाएगा तबाही !
May 11 2017 2:21PM, Writer:जलीश
दक्षिण कोरिया के नए राष्ट्रपति मून जे इन ने चुनाव में मिली भारी जीत के बाद उन्होंने राष्ट्रपति पद की शपथ ले ली है। शपथ लेने के बाद उन्होंने उत्तर कोरिया से दोस्ती की इच्छा जताई है, और हाथ बढ़ाने के लिए प्योंगयांग जाना चाहते हैं। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि वो ठीक परिस्थिति में ही उत्तर कोरिया की यात्रा करना चाहेंगे। दक्षिण कोरिया के लोगों ने मून को ऐसे वक्त में चुना जब पूर्व राष्ट्रपति पार्क गयून-हाइ को भ्रष्टाचार के आरोपों में अपने पद से हटना पड़ा। नए राष्ट्रपति मून जे इन उत्तरी कोरिया के एक शरणार्थी के बेटे हैं। वो एक ऐसे समय में कार्यभार संभाल रहे हैं जब उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रमों को लेकर इस क्षेत्र में तनाव बना हुआ है। मून की पहचान हमेशा से एक वार्ताकार की रही है। उनकी यही खासियत दक्षिण और उत्तर कोरिया के बीच के तनाव को खत्म करने में सहायक हो सकती है। अभी के हालात ऐसे हैं कि दोनों देश एक-दूसरे के जानी दुश्मन हैं।
चलिए आपको बताते हैं कि दोनों देशों के बीच आखिर इतनी तल्खी क्यों हैं। दूसरे विश्व युद्ध के बाद दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया दो अलग देश बने। अलग होने के बाद से ही दोनों देशों ने अपनी अलग-अलग राह चुन ली। कोरिया पर 1910 से जापान का तब तक शासन रहा जब तक 1945 के दूसरे विश्व युद्ध में जापानियों ने हथियार नहीं डाल दिया। इसके बाद सोवियत की सेना ने कोरिया के उत्तरी भाग को अपने कब्ज़ में लिया और दक्षिणी हिस्से को अमरीका ने। इसके बाद उत्तरी और दक्षिणी कोरिया में साम्यवाद और 'लोकतंत्र' के बीच लेकर संघर्ष शुरू हुआ। आज की तारीख़ में दक्षिण कोरिया काफी संपन्न राष्ट्र है, जबकि उत्तर कोरिया किम राजवंश के शासन में लगातार दुनिया से अलग-थलग होता गया। 20वीं सदी का यह विभाजन आज भी दुनिया के लिए बड़े विवाद के रूप में देखा जाता है।
विभाजन के वक्त दोनों दोनों तरफ काफी गरीबी थी। दक्षिण कोरिया को अमेरिका से काफी मदद मिली। दूसरी तरफ उत्तर कोरिया किम राजवंश के शासन में लगातार नीचे लुढ़कता रहा। गरीबी और अकाल की हालत बद से बदतर होती गई। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति चुनाव में उत्तर कोरियाई शरणार्थी के बेटे मून जाए-इन की जीत के बाद टेंशन में आए अमेरिका ने कोरियाई प्रायद्वीप में अपनी रणनीति बदल दी है। उत्तर कोरिया तानाशाह किम जोंग-उन की हत्या की कोशिश कर चुकी अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA ने कोरिया मिशन सेंटर की स्थापना की है। ताकि वो नॉर्थ कोरिया के खिलाफ अपनी पूरी क्षमता और संसाधन का इस्तेमाल कर सके। दिलचस्प बात ये है कि सीआईए ने अपने इस सेंटर की कमान सबसे अनुभवी अधिकारी को दी है, ताकि उत्तर कोरिया के खिलाफ बेहतर रणनीति बनाई जा सके।