'ड्रैगन' की नई चाल...पाकिस्तान ने भी दिया साथ...अब नजर हिंदुस्तान पर…
May 14 2017 6:13PM, Writer:जलीश
भारत के कड़े विरोध के बीच चीन के बीजिंग में 'वन बेल्ट वन रोड' प्रोजेक्ट समिट शुरू हो गया। दो दिनों तक चलने वाले इस समिट में 29 देशों के राष्ट्राध्यक्ष, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस, विश्व बैंक के प्रेसिडेंट जिम योंग किम, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टीन लगार्ड के अलावा 130 देशों के अधिकारी, उद्योगपति, फाइनेंसर और पत्रकार हिस्सा ले रहे हैं। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वन बेल्ट वन रोड फोरम का उद्घाटन के बाद कहा कि इस परियोजना से दुनिया भर के लोगों को फायदा होगा। चीनी राष्ट्रपति ने अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट को 2013 में पेश किया था। इसके लिए उसने पहले पाकिस्तान से हाथ मिलाए थे। लेकिन अब कहा जा रहा है कि इस प्रोजक्ट के लिए चीन ने कई मुल्कों को अपने साथ मिला दिया है। अब चीन में एक बड़ी समिट होने जा रही है। जिसमें एशिया, अफ्रीका और यूरोप से कई देश भाग लेने के लिए आ रहे हैं।
इस प्रॉजेक्ट पर हो रही समिट के पहले चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था कि चीन 'नए सिल्क रूट' प्लान पर 124 बिलियन डॉलर लगाएगा। लेकिन भारत के पीएम मोदी इस समिट में नहीं जा रहे हैं। आखिर क्यों , इस बारे में भी हम आपको बताने जा रहे हैं। चीन इस प्रोजक्ट पर भारी भरकम रुपया लगा रहा है। कहा जा रहा है कि इस समिट में 29 देश भाग ले रहे हैं। ये भारत की चिंता की वजह भी हो सकता है। दरअसल इस रोड़ का कुछ हिस्सा पाक अधिकृत कश्मीर यानी पीओके से होकर गुजरता है। इस वजह से भारत लगातार इसका विरोध करता जा रहा है। इससे पहले भारत के निवेशकों को भारत सरकार ने सख्त निर्देश दिए थे। भारत के साथी देश चीन के इस वन बेल्ट वन रोड परियोजना के जाल में फंस गए हैं। भारत से बहुत खास रिश्ता रखने वाला पड़ोसी मुल्क नेपाल भी चीन के साथ इस परियोजना में शामिल हो गया है।
पाकिस्तान पहले से ही इस पर चीन के साथ खड़ा था। भारत का बेहद करीबी दोस्ता माना जाने वाला रूस भी इस समिट में भाग ले रहा है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन खुद समिट में मौजूद हैं। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और श्रीलंकाई प्रधानमंत्री रानिल क्रमसिंघे समेत दुनिया के 29 देशों के राष्ट्राध्यक्ष इसमें हिस्सा ले रहे हैं. अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जापान ने भी इसमें अपने प्रतिनिधि भेजे हैं। चीन की इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट 'वन बेल्ट वन रोड' समिट का भारत ने बहिष्कार किया है। भारत ने साफ किया कि वो ऐसी किसी परियोजना को स्वीकार नहीं कर सकता, जो संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करता हो। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा कि, मामले में अपने सैद्धांतिक रुख से निर्देशित, हम चीन से उसकी पहल वन बेल्ट वन रोड पर उपयोगी वार्ता में भागीदारी का आग्रह करते हैं, जिसका नाम बाद में बेल्ट एंड रोड पहल किया गया। हम चीन की तरफ से सकारात्मक जवाब का इंतजार कर रहे हैं।