उत्तराखंड में एक बार फिर से बड़ी तबाही की आहट, ऐतिहासिक नगर जोशीमठ के डूबने का खतरा!
500 घरों, होटलों में दरारें पड़ गई हैं, जो इस बात का सबूत हैं कि जोशीमठ बहुत बड़े खतरे में है। इसकी वजह क्या है?
Dec 28 2022 2:48PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
चार धामों में प्रमुख धाम बदरीनाथ का प्रवेश द्वार कहलाता है जोशीमठ…लेकिन बदरीनाथ के इस प्रवेश द्वार पर अब तबाही का संकट मंडरा रहा है।
Joshimath Sinking Cracks In Houses And Hotel
500 घरों, होटलों में दरारें पड़ गई हैं, जो इस बात का सबूत हैं कि जोशीमठ बहुत बड़े खतरे में है। इसकी वजह क्या है? किस वजह से जोशीमठ की ऐसी गत हो गई? इस दुर्गति का जिम्मेदार कौन है? इसका जवाब हैं हम यानी इंसान..घरों में आई दरारों से जोशीमठ के लोग सहमे हुए हैं। लोगों का मानना है और वैज्ञानिक भी ये कह चुके हैं कि जलविद्युत परियोजना के चलते जोशीमठ में भूधंसाव की मुश्किल बढ़ी है। जोशीमठ के घरों में पड़ी बड़ी-बड़ी दरारें अब और ज्यादा गहरी हो गईं। वैज्ञानिक विशेषज्ञों की इस साल आई रिपोर्ट में भी ये माना गया कि जोशीमठ भी जिस पहाड़ी पर बसा है, वो धंस रही है। पिछले साल कुछ घरों में दरारें थीं। इस साल कई घर और होटल इसकी जद में आ गए। भू-धंसाव से जोशीमठ के लोग भयभीत हैं, ये लोग 24 दिसंबर को पुनर्वास की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे। सड़क जाम की। बाज़ार बंद रहे। घरों में दरारों के भय से कई लोगों ने अपने घर खाली कर दिए हैं और किराए पर रहने चले गए। कुछ ने रिश्तेदारों के यहां शरण ली है। जबकि बहुत से लोग अनहोनी की आशंका के बीच अपने घरों में बने हुए हैं। जोशीमठ की जनता राज्य सरकार को आंदोलन की चेतावनी दे रही है।
जोशीमठ के अस्तित्व को बचाने के लिए वैज्ञानिकों ने पहले भी सुझाव दिए थे
जोशीमठ के ड्रेनेज और सीवर सिस्टम पर ध्यान केंद्रित किया जाए
नदी से हो रहे भू-कटाव की रोकथाम को कदम उठाए जाएं
शहर के निचली ढलानों पर स्थित परिवारों का विस्थापन हो
प्रभावित क्षेत्रों में निर्माण कार्यों पर रोक लगाई जाए
बड़ी संरचनाओं का निर्माण इस क्षेत्र के लिए जोखिमपूर्ण हो सकता है
जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के सयोजक अतुल सती कहते हैं कि भूगर्भ वैज्ञानिकों से लेकर आम लोग तक ये खुलकर कह रहे हैं कि रैणी से लेकर जोशीमठ तक की अस्थिरता में सौ प्रतिशत जलविद्युत परियोजनाओं की भूमिका है। जलविद्युत परियोजनाओं की टनल ने समूचे हिमालयी क्षेत्र को अस्थिर किया है। इसका असर लोगों के जीवन पर पड़ रहा है। एक साल में करीब 500 घरों, दुकानों और होटलों में दरारें आई हैं। इस वजह से ये रहने लायक भी नहीं बचे हैं। लोगों ने आंदोलन की चेतावनी दी तो प्रशासन ने भूवैज्ञानिक, इंजीनियर और अफसरों की 5 सदस्यीय टीम ने दरारों की जांच की।
जोशीमठ के कई हिस्से मानव निर्मित और प्राकृतिक कारणों से डूब रहे हैं।
भू-धंसाव का कारण पेड़ों और पहाड़ों की कटान भी है।
जोशीमठ के सभी वार्डों में बिना योजना के खुदाई भी की जा रही है
इसी कारण मकानों और दुकानों में दरारें आ रही हैं।
पिछले कई दिनों से जोशीमठ के नगर क्षेत्रों में भू-धंसाव का दायरा बढ़ता जा रहा है. जिसकी चपेट में आने से पहले घरों में दरारें पड़ रही थीं. वहीं, अब होटलों में भी दरारें पड़ने लगी हैं. कुल मिलाकर उत्तराखंड का ये ऐतिहासिक नगर डूबने की कगार पर है, तबाही की आहट साफ दिखाई दे रही है। वक्त रहते संभले तो ठीक वरना भविष्य की भयावहता न जाने किस तबाही का दृश्य दिखाएगी।