image: Road reached near gyanima mandi of china

उत्तराखंड में ऐतिहासिक कारनामा...मोदी बोले…‘ये तो बस शुरुआत है’ !

May 18 2017 11:45AM, Writer:मीत

जो सपना हर उत्तराखंडी देख रहा था, शायद वो सपना पूरा हो रहा है। वरना किसने सोचा था् कि 11 हजार फीट की ऊंचाई पर सड़क पहुंच जाएगी। जी हां ये कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। पिथौरागढ़ जिले का सीमांत गांव है दुक्तू। सर्दियों के चार महीने बर्फ से ये गांव ढका रहता है। गांव के लोग ठंड शुरू होते ही परिवार के साथ 78 किमी नीचे धारचूला घाटी आ जाते हैं। इसके बाद जैसे ही गर्मियां फिर से शुरु होती हैं तो ये लोग अपने गांव वापस आ जाते हैं । इस बीच भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के जवान दुक्तू गांव के अपने कैंपों में ही डटे रहते हैं। ग्रामीण हों या फिर जवान , कुछ वक्त पहले तक सभी को इस गांव तक पहुंचने के लिए सोबला से पहाड़ की पगडंडियों पर 46 किलोमीटर की पैदल दूरी नापनी पड़ती थी। लेकिन अब 11 हजार फीट की ऊंचाई पर बसे इस गांव तक सड़क पहुंच गई है।

ये गांव चीन की ज्ञानिमा मंडी के पास है। न्यू सोबला-दारमा मार्ग का निर्माण बड़ी ही मुश्किल चुनौती रही है। लेकिन पीएम मोदी ने भारतीय इंजीनियरों को बार बार हौसला दिलाया कि आप ये कर सकते हैं । इसके साथ ही पीएम मोदी का कहना है कि ये सिर्फ शुरुआत है, अभी तो उत्तराखंड को कई और भी तोहफे मिलने हैं। देश को सामरिक दृष्टि से भी ये एक बड़ी कामयाबी है। ये उपलब्धि इसलिए भी शानदार है क्योंकि तिब्बती मंडी ताकलाकोट के बाद चीन ने अपना दूसरा बड़ा सामरिक ठिकाना ज्ञानिमा मंडी के पास बना रखा है। इसके साथ ही गांव वाले अब खुश हैं कि भारत की खुशबू अब इस गांव तक पहुंचेगी। अपने नाते-रिश्तेदारों के अलावा यहां के लोगों ने अभी तक यहां आइटीबीपी और सेना के जवान ही पहुंचते देखे हैं। शायद बाहरी दुनिया से पहली बार इस गांव का कनेक्शन हो रहा है। गांव वालों का कहना है कि यहां सड़क पहुंची तो देश की खुशबू भी पहुंचेगी इसका आभास हो गया।

गांव वालों का कहना है कि अब यहां पर्यटक भी आएंगे। जवानों को साजो सामान कंधों पर ढोकर पैदल नहीं आना पड़ेगा। कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग से पहले इस मार्ग का निर्माण हो जाने से भारत की चीन सीमा तक दोतरफा पहुंच हो गई है। यहां तक रोड कटिंग में भारतीय इंजीनियरों की मेहनत देखने लायक है। दावा है कि 20 से 25 दिनों में वाहन जाने लायक कच्ची सड़क बनकर पूरी तरह तैयार हो जाएगी। यहां तक पहुंचने में कम चुनौतियां नहीं है। इस सड़क का निर्माण केंद्रीय लोक निर्माण विभाग कर रहा है। 2013 की आपदा की कठिन चुनौती के बाद भी इसने हिम्मत नहीं हारी। 2005 में दारमा घाटी के रास्ते चीन सीमा तक सड़क का सपना देखा गया था। 2013 की आपदा में दो साल तक काम बंद करना पड़ा। लेकिन इसके बाद पीएम मोदी ने एक बार फिर से इस काम पूरा करने के लिए निर्देश दिए थे।


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