जोशीमठ: अपना घर खोने के बाद भी आपदा पीड़ितों की सेवा में जुटी हैं डॉ. ज्योत्सना नैथवाल
भूधंसाव में खुद का घर उजड़ा, मगर अब भी जज्बे के साथ मरीजों का इलाज कर रही हैं डॉक्टर ज्योत्स्ना नैथवाल
Jan 24 2023 2:15PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
डा. ज्योत्सना नैथवाल भी उन लोगों में से एक हैं जिनको दरारों की वजह से अपना घर छोड़ना पड़ा। उनके घर पर भी दरारें आ गई थीं जिसके बाद भी उनके आत्मविश्वास में कमी नहीं आई।
Story of Joshimath Dr. Jyotsna naithwal
वे इस वक्त भी पूरे मन से और कर्त्तव्यभाव से ड्यूटी कर रही हैं।सलाम है ऐसे लोगों को जिन्होंने आपदा में भी अपनी ड्यूटी को नहीं छोड़ा नहीं तो जोशीमठ वासियों के खुशहाल जीवन तो जैसे पटरी से ही उतर गया है। हर कोई अपने घर को लेकर चिंतित है। मगर इस परिदृश्य के बीच शहर की ही एक युवती डा. ज्योत्सना नैथवाल आपदा में घर उजड़ने के बाद भी पूरी कर्तव्यनिष्ठा से प्रभावितों की सेवा में जुटी हुई हैं। उनका परिवार भी राहत शिविर में है मगर उसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उनका एकमात्र ध्येय यही है कि किसी भी प्रभावित को बीमार होने पर यहां-वहां न भटकना पड़े। डॉक्टर ज्योत्सना 32 वर्ष की हैं। उन्होंने 2016 में राजकीय मेडिकल कालेज श्रीनगर से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। इसके बाद वर्ष 2020-21 में उन्होंने एम्स ऋषिकेश से प्राइमरी केयर साइकेट्री का एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स किया। उन्हें सीएचसी जोशीमठ में नियुक्ति मिली। आगे पढ़िए
Joshimath Dr. Jyotsna naithwal
उनके पिता दरबान नैथवाल शिक्षा विभाग में वित्त अधिकारी होने के साथ गढ़वाली लोकगायक भी हैं और उनकी तैनाती देहरादून में है। ज्योत्सना के पिता का सिंहधार में डाकघर के पास तीन मंजिला मकान है, जिसे भूधंसाव के चलते दरारें आने के कारण प्रशासन ने खाली करवा दिया। वर्तमान में उनका परिवार होटल औली डी स्थित राहत शिविर में रह रहा है। लेकिन ज्योत्सना ने विचलित होना नहीं चुना। उन्होंने कहा कि इन हालात में प्रभावितों को हमारी सबसे अधिक ज़रूरत है। अगर हम खुद ही हिम्मत हार जाएंगे तो उनको कौन सम्भालेगा। उन्होंने कहा कि चुनौतियों से भाग कर कुछ भी नहीं किया जा सकता। वर्तमान चुनौतियों का मुकाबला स्थिर मन से ही किया जा सकता है। ज्योत्सना कहती हैं कि इन दिनों उनकी ड्यूटी का कोई सीमित समय नहीं है। सीएचसी में मरीजों को देखने के साथ ही एमरजेंसी ड्यूटी की भी करनी पड़ रही है। इसी बीच राहत शिविर या घरों से किसी के बीमार होने की सूचना मिलती है तो वहां जाना भी उनका जाना जरूरी है। इस दुख की घड़ी में, तमाम मुश्किलों के बीच ऐसी पॉजिटिव खबरें मन को स्थिर करती हैं। राज्य समीक्षा समय समय पर ऐसी खबरें आपतक ऐसी पॉजिटिव खबरें पहुंचाता रहेगा।