9 साल बाद अपने मूलस्थान पर लौटी धारी देवी, 2013 में मूर्ति हटाते ही आई थी केदार प्रलय
28 जनवरी की सुबह शुभ मुहूर्त में मां धारी देवी, भैरवनाथ और नंदी की प्रतिमाएं अस्थायी परिसर से नवनिर्मित मंदिर परिसर में स्थापित कर दी जाएंगी।
Jan 28 2023 12:40PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
आज चारधाम की रक्षक मां धारी देवी 9 साल बाद अपने मूलस्थान पर विराजमान हो गई। सिद्धपीठ मां धारी देवी की प्रतिमा शिफ्टिंग की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो गई थी।
New temple of Dhari Devi
इसके लिए 24 जनवरी से महानुष्ठान भी शुरू हो गया था, जो कि 28 जनवरी तक जारी रहा। महानुष्ठान के लिए 21 पंडितों को आमंत्रित किया गया। मां धारी देवी का सिद्धपीठ श्रीनगर से 14 किलोमीटर दूर कल्यासौड़ में स्थित है। 9 साल बाद मां धारी अपने मूल स्थान पर लौटने वाली हैं। जून 2013 में केदारनाथ जलप्रलय के कारण अलकनंदा नदी का जलस्तर बढ़ने की वजह से प्रतिमाओं को अपलिफ्ट कर दिया गया था। पिछले नौ साल से प्रतिमाएं इसी अस्थायी स्थान में विराजमान हैं। 28 जनवरी की सुबह शुभ मुहूर्त में धारी देवी, भैरवनाथ और नंदी की प्रतिमाएं अस्थायी परिसर से नवनिर्मित मंदिर परिसर में स्थापित की गई। आगे पढ़िए
बता दें कि श्रीनगर जल विद्युत परियोजना के निर्माण के बाद यह मंदिर डूब क्षेत्र में आने से जीवीके कंपनी की ओर से पिलर खड़े कर मंदिर का निर्माण किया गया है। इस मंदिर में हर दिन एक चमत्कार होता है, जिसे देखकर लोग हैरान हो जाते हैं। कहते हैं मंदिर में मौजूद माता की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है। धारी देवी की मूर्ति सुबह में एक कन्या की तरह दिखती है, फिर दोपहर में युवती और शाम को एक बूढ़ी महिला की तरह नजर आती है। देवी काली को समर्पित इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां मौजूद मां धारी उत्तराखंड के चारधाम और यात्रियों की रक्षा करती हैं। मां धारी की मूर्ति शिफ्टिंग के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत समेत कैबिनेट मंत्री धनसिंह रावत को निमंत्रण भेजा गया है। प्रदेश के सभी मंदिरों और मठों के शीर्ष पुजारियों को भी आमंत्रित किया गया है।