उत्तराखंड की राजनीति में मची हलचल, क्या होगा कोश्यारी का अगला कदम..आप भी जानिए
Bhagat Singh Koshyari उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके भगत सिंह कोश्यारी नैनीताल के सांसद भी रह चुके हैं। उन्हें साल 2019 में महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया था।
Feb 12 2023 7:22PM, Writer:कोमल नेगी
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। उससे कुछ महीने पहले राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया है।
Bhagat Singh Koshyari may active in Uttarakhand
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके भगत सिंह कोश्यारी नैनीताल के सांसद भी रह चुके हैं। उन्हें साल 2019 में महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया था। अब जबकि भगत सिंह कोश्यारी राज्यपाल पद की जिम्मेदारी से मुक्त हो चुके हैं तो माना जा रहा है कि वो एक बार फिर उत्तराखंड की राजनीति में सक्रिय हो सकते हैं। बीजेपी के कुछ गुट सक्रिय हो गए हैं तो वहीं कांग्रेस भी अलर्ट मोड पर है। इससे प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर सियासी पारा चढ़ने की आशंका जताई जा रही है। ये भी कहा जा रहा है कि कोश्यारी के उत्तराखंड का रुख करने से बीजेपी की टेंशन बढ़ेगी। भगत सिंह कोश्यारी ने महाराष्ट्र में राज्यपाल रहते हुए कई बार विवादित बयान दिए थे। हालांकि बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता मनवीर चौहान का कहना है कि बीजेपी एक अनुशासित पार्टी है। पार्टी सभी वरिष्ठ नेताओं के मार्गदर्शन को साथ लेते हुए, उत्तराखंड के विकास के लिए काम करती रही है। जबकि कांग्रेस सिर्फ और सिर्फ भ्रामक प्रचार करती रही है। आगे पढ़िए
माना जा रहा है कि कोश्यारी अब अपने पैतृक गांव लौट सकते हैं, जो कि बागेश्वर के नामती चेटाबगड़ की गुंठी तोक में है। यहां उन्होंने दो कमरों का मकान भी तैयार कराया था। सरकारी अमला भी उनके गांव तक सड़क पहुंचाने के कार्य में जुटा हुआ था। बताया जा रहा है कि पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी अपने गांव में, अपने लोगों के बीच समय व्यतीत करना चाहते हैं। बता दें कि भगत सिंह कोश्यारी का जन्म 17 जून 1942 को बागेश्वर जिले में हुआ था। अल्मोड़ा में शुरुआती पढ़ाई के बाद उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी से अंग्रेज साहित्य में आचार्य की उपाधि प्राप्त की। राज्य गठन के बाद वो प्रदेश के ऊर्जा मंत्री बने। साल 2001 में उन्हें मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई। Bhagat Singh Koshyari साल 2002 से 2007 तक उत्तराखंड विधानसभा में नेता विपक्ष भी रहे। वर्ष 2008 से 2014 तक वे उत्तराखंड से राज्यसभा के सदस्य चुने गए थे।