image: Dehradun Retired Army Mohan Singh Rawat Salon

देहरादून में रिटायर्ड फौजी ने खोला है अपना सैलून, सपोर्ट कीजिए, शेयर कीजिए

फौज से रिटायर होने के बाद अब कैंची बनी हथियार...पढ़िए भूतपूर्व सैनिक से लेकर नाई की दुकान खोलने का रोचक सफर
Apr 11 2023 1:35PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल

कहते हैं कि कामकाजी व्यक्ति जीवन में हमेशा सफलता के नए नए आयाम छूता है।

Dehradun Retired fauzi Mohan Singh Rawat Salon

स्वावलंब आज के समय की ज़रूरत बन गई है। मेहनत और स्वावलंबन के कई जीते जागते उदाहरण आपको देवभूमि उत्तराखंड में मिल जाएंगे। पहाड़ में लोगों के खून में मेहनत करना होता है।स्वावलम्बन की एक ऐसी ही इंस्पायरिंग कहानी लेकर हम आ गए हैं, जिसको पढ़कर आप को गर्व महसूस होगा। कहानी है देहरादून दौड़वाला निवासी मोहन सिंह रावत की। वे एक मार्च को फौज से रिटायर हुए और 17 मार्च को अपनी नाई की दुकान खोल ली। इसका नाम उन्होंने भूतपूर्व सैनिक नाई की दुकान रखा है। दुकान पर लगा यह बोर्ड आजकल सबका ध्यान खींच रहा है। बता दें कि कारगी चौक से करीब दो किमी आगे मोथरोवाला रोड पर मोहन सिंह रावत ने स्वरोजगार अपनाते हुए रिटायरमेंट के बाद अपनी यह दुकान शुरू की है। वे मूल रूप से रुद्रप्रयाग जिले के बांसी भरदार गांव के रहने वाले हैं। उनका बचपन से सपना था कि वे बड़े होकर सेना में सर्विसेज दें। यही वजह थी कि वर्ष 1999 में 12वीं पास करने के बाद वह फौज में जाने के लिए आवेदन करने लगे थे। आगे पढ़िए

13 बार असफल रहने के बाद आखिरकार 14वीं बार में वह असम रायफल में भर्ती हो गए। सेना में रहते हुए ही उन्होंने बाल काटने का काम सीखा था, जिसे उन्होंने अब स्वरोजगार के रूप में अपनाया है। मोहन अपने इस हुनर को केवल अपने तक ही नहीं रखना चाहते। उनका कहना है कि जो कोई उनसे इस काम को सीखना चाहेगा, उसे वह निशुल्क ट्रेनिंग देंगे। मोहन सिंह रावत चलने फिरने में असहाय बजुर्गों के घर पर जाकर बाल काटते हैं।मोहन बताते हैं कि फौज में सर्विसेज देने के कारण उनके पास सबसे अधिक रिटायर फौजी और बच्चे बाल कटाने आते हैं। यहां तक कि उनके स्वावलंबन को देखते हुए दो दिन पहले अचानक पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत मोहन सिंह रावत की दुकान पर पहुंचे और उनका हौसला बढ़ाया। उन्होंने मोहन सिंह रावत को सेल्यूट कर उनके काम की हौसला अफजाई की। उत्तराखंड के युवाओं को उन्होंने संदेश देते हुए कहा है कि युवाओं को तो अधिक से अधिक मात्रा में स्वरोजगार की तरफ अग्रसर होना चाहिए क्योंकि पहाड़ों पर स्वरोजगार का काफी स्कोप है और बिना पलायन के ही युवा वर्ग अच्छी खासी कमाई कर सकता है


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