उत्तराखंड में जंगलों के बीच बन रही हैं मजारें, जानिए क्या है लैंड जिहाद
जिन इलाकों में लकड़ी उठाने तक पर पाबंदी है, वहां मजारें बनाकर जमीनें कब्जा ली गईं, लेकिन वन विभाग और कॉर्बेट टाइगर रिजर्व खामोश रहा।
Apr 16 2023 9:56PM, Writer:कोमल नेगी
उत्तराखंड में लैंड जिहाद के खिलाफ राज्य सरकार का अभियान जारी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार उत्तराखंड में वन भूमि पर एक हजार अवैध मजारें हैं, जो कि वन विभाग ने चिन्हित की हैं।
Uttarakhand land jihad majar case all details
जबकि वक्फ बोर्ड के अनुसार उत्तराखंड में लगभग पांच हजार धर्मस्थल पंजीकृत हैं। तमाम धार्मिक संगठन सरकारी जमीनों पर कब्जा कर बनाई गई मजारों को हटाने की मांग कर रहे हैं। हैरानी वाली बात ये है कि सबसे ज्यादा मजारें, रिजर्व फॉरेस्ट में हैं। जिन इलाकों में लकड़ी उठाने तक पर पाबंदी है, वहां मजारें बनाकर जमीनें कब्जा ली गईं, लेकिन वन विभाग और कॉर्बेट टाइगर रिजर्व खामोश रहा। आंकड़ों के मुताबिक राजाजी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में 14 मजारें, एक मस्जिद और तीन कब्रिस्तान हैं, जबकि कार्बेट टाइगर रिजर्व में 19 मजारें, एक कब्रिस्तान और एक समाधि है। जंगलों में इन धार्मिक स्थलों की संख्या 292 बताई गई है. जबकि संरक्षित क्षेत्रों में यह संख्या चिंताजनक है।
जिम कार्बेट नेशनल पार्क में 20 से ज्यादा मजारें पाई गई हैं। अवैध मजारों में से करीब 102 मजारें ऐसी थीं, जिन्हें तोड़े जाने पर उनके नीचे कोई मानव अवशेष नहीं मिला। साफ जाहिर है कि ये मजारें कब्जे की नीयत से बनी थीं। सरकारी आंकड़ों की मानें तो धार्मिक स्थलों की आड़ में राज्य में 11 हजार हेक्टेयर से ज्यादा वन भूमि अतिक्रमण की चपेट में है। सरकारी सिस्टम जब इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सका तो लोग कई जगह खुद मजार तोड़ने लगे हैं। लाडपुर में कुछ लोगों ने खुद जाकर एक मजार को तोड़ दिया। पछुवादून में साढ़े सात सौ से ज्यादा अवैध मजारें हैं। जबकि हरबर्टपुर में भी एक मजार बनाकर अच्छा-खासा क्षेत्र कब्जाया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी साफ कह चुके हैं कि उत्तराखंड में मजार जेहाद नहीं चलने दिया जाएगा। उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष मो. शादाब शम्स ने भी राज्य सरकार के इस फैसले को सही बताया है।