गढ़वाल: शहीद रुचिन रावत आज अपने गांव में होते, वो तिरंगे में लिपटकर चले गए
जवान रुचिन सिंह रावत ने कहा था कि वह 10 मई को पत्नी और बच्चे के साथ गांव पहुंचेंगे, लेकिन अफसोस कि रुचिन अपना वादा निभा नहीं सके।
May 10 2023 6:56PM, Writer:कोमल नेगी
देश के जांबाज सपूत रुचिन सिंह की अब सिर्फ यादें शेष हैं।
Uttarakhand Martyr Ruchin Rawat
शुक्रवार रात को राजौरी में हुए आतंकी हमले में रुचिन के बलिदान की सूचना प्रदेश-गांव में पहुंच चुकी थी, लेकिन कोई भी इस बारे में उनके परिजनों को बताने की हिम्मत नहीं जुटा सका। रुचिन की पत्नी कल्पना ने फोन पर ये दुखद खबर परिजनों को दी। जिसके बाद दादा कलम सिंह, दादी मालती देवी और रुचिन की माता पार्वती देवी सहित हर कोई रो-पड़ा। चमोली के गैरसैंण में स्थित कूनीगाड़ मल्ली निवासी राजेंद्र सिंह रावत के बेटे रुचिन सिंह के शहीद होने की सूचना से गांव में शोक की लहर दौड़ गई। रुचिन सिर्फ 29 साल के थे। दादा कलम सिंह ने फफकते हुए बताया कि पिछले साल दिसंबर में रुचिन 10 दिन की छुट्टी में गांव आए थे। आगे पढ़िए
कुछ ही दिन पहले रुचिन ने फोन किया था और कहा था कि वह 10 मई तक पत्नी और बच्चे के साथ गांव पहुंचेगा, लेकिन अफसोस कि रुचिन अपना वादा निभा नहीं सका। रुचिन साल 2009 में सेना में भर्ती हुए थे। वर्तमान में वह 9 पैरा कमान ऊधमपुर में तैनात थे। 8 महीने पहले ही रुचिन के छोटे भाई विवेक की शादी हुई थी। रुचिन सिंह बेहद मिलनसार स्वभाव के थे और जब भी गांव आते थे तो सामाजिक कार्य में बढ़-चढ़कर भागीदारी करते थे। शहीद के पिता राजेंद्र सिंह रावत को जहां अपने लाडले पर जहां गर्व है, वहीं माता पार्वती देवी का रो-रोकर बुरा हाल है। बीते रविवार को रुचिन सिंह रावत का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा। बेटे को तिरंगे में लिपटा देख परिजन बिलख उठे। उन्हें पैतृक महादेव घाट पर सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।