image: 16212 people living without verification in 6 districts of Uttarakhand

उत्तराखंड के 6 जिलों में कहां से आ गए 16212 अनजान लोग? ये बिना वैरिफिकेशन के रह रहे हैं

कुमाऊं के 6 जिलों में 16212 लोग बिना सत्यापन के रह रहे हैं। सिर्फ छह जिलों का ये हाल है तो पूरे प्रदेश का क्या हाल होगा, आप खुद समझ सकते हैं।
May 23 2023 2:36PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल

हल्द्वानी में पिछले दिनों दो बड़ी वारदातें हुईं।

people living without verification in Uttarakhand

पहली घटना गोरापड़ाव क्षेत्र की है। जहां 5 मई को घर में घुसकर एक महिला की बेरहमी से हत्या कर दी गई। दूसरी घटना भोटिया पड़ाव क्षेत्र की है। जहां मानव तस्कर एक नाबालिग को नशे की डोज देकर उससे देह व्यापार करा रहे थे। दोनों ही घटनाओं में एक लिंक कॉमन है, और वो ये कि दोनों में ही आरोपी बिना सत्यापन के शहर में रह रहे थे। पुलिस सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद होने और पुलिस वेरिफिकेशन के लिए अभियान चलाने के दावे तो करती है, लेकिन हकीकत ये है कि कुमाऊं के 6 जिलों में 16212 लोग बिना सत्यापन के रह रहे हैं। इतना ही नहीं इनमें से 1557 लोग संदिग्ध भी हैं। इनके पास से पुलिस किसी तरह का पहचान पत्र बरामद नहीं कर सकी। सिर्फ छह जिलों का ये हाल है तो पूरे प्रदेश का क्या हाल होगा, आप खुद समझ सकते हैं। बिना वेरिफिकेशन के रह रहे लोगों की सबसे ज्यादा तादाद नैनीताल और ऊधमसिंहनगर जिले में है। अप्रैल से अब तक की बात करें तो पुलिस ने 16212 किराएदार चिन्हित किए हैं, इनमें फड़, रेहड़ी और छोटा व्यापार करने वाले लोग शामिल नहीं हैं। आगे पढ़िए

सत्यापन अभियान के दौरान इनमें से डेढ़ हजार लोग अपनी पहचान ही नहीं बता पाए। सत्यापन के मामले में नैनीताल जिला सबसे पीछे है। यहां 4723 लोग बिना सत्यापन के और 606 लोग संदिग्ध मिले हैं। इसी तरह ऊधमसिंहनगर में 644 लोग संदिग्ध मिले हैं। इन आंकड़ों पर आईजी ने नाराजगी जताई है। बता दें कि अधिकांश आपराधिक घटनाओं में बिना सत्यापन के रहने वाले लोग शामिल रहते हैं। बीते दिनों नंदी देवी की हत्या के आरोप में पकड़ा गया मनोज भी बिना सत्यापन के शहर में रह रहा था। इसी तरह मानव तस्करी की सरगना तान्या शेख भी बिना सत्यापन के किराये के कमरे से नेटवर्क चला रही थी। कई मामलों में पुलिस बिना सत्यापन के रह रहे अपराधियों को पकड़ ही नहीं सकी। अब बिना सत्यापन के रह रहे आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। आरोप लग रहे हैं कि पुलिस सत्यापन कार्रवाई महज खानापूर्ति तक सीमित रहती है।


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