image: Pregnant woman was brought in a doli in Champawat

पहाड़ का सच ये ही है, सुदूर गांवों में सड़क नहीं, डोली से लाई गई गर्भवती महिला

आज के दौर में ऐसी तस्वीरों का सामने आना वाकई शर्मनाक है, लेकिन पहाड़ का सच यही है।
Jun 23 2023 5:08PM, Writer:कोमल नेगी

उत्तराखंड राज्य बने दो दशक से ज्यादा बीत गए, लेकिन सुदूरवर्ती गांवों में आज भी लोगों को सड़क-स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है।

Pregnant woman brought in doli in Champawat

गांव में सड़कें न होने की वजह से गर्भवती महिलाओं और मरीजों को डोली-कंडी के सहारे अस्पताल पहुंचाना पड़ता है। आज के दौर में भी ऐसी तस्वीरों का सामने आना वाकई शर्मनाक है, लेकिन पहाड़ का सच यही है। हाल में चंपावत की रहने वाली एक गर्भवती महिला को भी डोली से सड़क तक पहुंचाना पड़ा। बाद में उसे वाहन से टनकपुर अस्पताल ले जाया गया। 32 साल की पूजा देवी पत्नी सुरेश राम झालाकुड़ी ग्राम पंचायत के बरमसकार तोक में रहती हैं। इस गांव से सड़क 5 किलोमीटर दूर है। आगे पढ़िए

मंगलवार को पूजा को प्रसव पीड़ा होने पर उसे डोली के सहारे सड़क तक लाया गया। 12 से ज्यादा लोगों ने इस काम में मदद की। तब कहीं जाकर दो घंटे बाद पूजा सड़क तक पहुंच सकीं। बाद में उन्हें 51 किलोमीटर दूर स्थित टनकपुर अस्पताल ले जाया गया। राहत इस बात की है कि पूजा की हालत में सुधार है। बरमसकार तोक के ग्रामीणों ने बताया कि यहां 40 परिवारों के 170 से अधिक सदस्य रहते हैं, लेकिन गांव में न तो सड़क है और न ही स्वास्थ्य केंद्र। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का निर्वाचन क्षेत्र होने के बावजूद इस गांव की हालत खराब है। ढाई साल पहले समय पर इलाज न मिलने की वजह से यहां की एक युवती की मौत हो गई थी। ग्रामीण शिकायत करते-करते थक गए हैं, लेकिन अधिकारी और सरकार उनकी समस्याओं की ओर ध्यान नहीं दे रहे।


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