उत्तराखंड में भगवान शिव के शीतकालीन गद्दीस्थल से मिला अशुभ संकेत, एक तरफ झुक रहा है मंदिर
अब गोपीनाथ मंदिर पर छाया संकट, मंदिर एक तरफ झुका, गर्भगृह से टपक रहा है पानी, क्या मंदिर का अस्तित्व खतरे में है?
Jun 27 2023 8:04PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
उत्तराखंड के चमौली जिले में मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।
Gopeshwar Gopinath Temple Leaning
पहले जोशीमठ में और अब गोपेश्वर के मशहूर मंदिर गोपीनाथ मंदिर में भी धीरे-धीरे दरारे बढ़ रही हैं जो कि बेहद चिंता का विषय है। उत्तराखंड के चमौली जिला मुख्यालय गोपेश्वर में स्थित गोपीनाथ मंदिर के तिरछा होने, गर्भ गृह में पानी टपकने तथा मंदिर के आसपास दरार पड़ने का मामला सामने आया है। स्थानीय हक-हकूक धारी और मंदिर के पुजारियों का कहना है कि पिछले कई वर्षों से मंदिर में कुछ परिवर्तन दिखाई दे रहे हैं, जो कि आने वाले समय में बड़ा संकट पैदा कर सकते हैं। हक-हकूक धारी और पुजारियों का कहना है कि पूरे मामले को लेकर पुरातत्व विभाग को अवगत करा दिया गया है और पुरातत्व विभाग से संपर्क भी किया जा रहा है। बता दें कि गोपीनाथ मंदिर का गर्भग्रह 30 वर्ग फुट पर फैला हुआ है। यह रुद्रनाथ भगवान के शीतकालीन गद्दी पड़ाव का प्रसिद्ध मंदिर माना जाता है। ऐसे में मंदिर की दीवारों पर दरारों का आना और गर्भ गृह का एक ओर झुकना चिंता का विषय है। कई लोगों से इस मंदिर की आस्था जुड़ी हुई है। मंदिर के पुजारियों और हक हकूक धारियों का कहना है कि पुरातत्व विभाग को कई बार इस समस्या से अवगत कराया गया है मगर अब तक कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया प्रशासन भी इस गंभीर मुद्दे को दरकिनार कर रहा है जोकि मंदिर के लिए अच्छा संकेत नहीं है और भविष्य में यह एक बड़ी मुसीबत को आमंत्रित कर सकता है।
Gopinath Temple Leaning
वहीं चमोली के जिला अधिकारी हिमांशु खुराना ने बताया है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जोशीमठ और कर्णप्रयाग में लगातार प्रशासन की नजर बनी हुई है। आपदा से निपटने के लिए जोशीमठ में एक कंट्रोल रूम भी बनाया गया है। यहां एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम को तैनात किया गया है। जोशीमठ में प्रशासन ने अभी तक ₹20 करोड़ का मुआवजा वितरित कर लिया है। लगभग 81 प्रभावित परिवारों को मुआवजा वितरित किया गया है जबकि अभी 100 से अधिक प्रभावित लोगों को मुआवजा वितरित करना बाकी है। तो वहीं कर्णप्रयाग के 39 मकानों में आई दरारों पर भी प्रशासन की नजर है. दरारों के दौरान परिवारों को सुरक्षित स्थान पर रखा गया था। इसके साथ बड़ी समस्या यह भी आ गई है कि मॉनसून की बरसात ने कर्णप्रयाग और जोशीमठ के लोगों को चिंता में डाल दिया है। लोगों का कहना है कि मानसून की दस्तक से पहले ही प्रशासन को मरम्मत कार्य करवा देना चाहिए था मगर मॉनसून के आने के बावजूद भी मरम्मत कार्य नहीं हो पा रहा है। ऐसे में दरारों में जल भराव से दरारे बढ़ सकती हैं जिससे परिस्थितियां हाथ से भी निकल सकती हैं।