पहाड़ में हुड़के की धुन पर धान रोपाई करने उतरी DM अनुराधा, गांव वालों के चेहरे खिले
डीएम अनुराधा पाल बिलौना गांव में धान की रोपाई कर रही महिलाओं के बीच पहुंच गईं। बस फिर क्या था..डीएम साहिबा भी धान की रोपाई में जुट गई।
Jul 12 2023 3:07PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
पहाड़ की सांस्कृतिक विरासत हुड़किया बौल आज भी कहीं-कहीं जीवित है। हुड़किया बौल अर्थात हुड़के की थाप पर धान की रोपाई करना।
IAS Anuradha Pal Planted paddy in village
इस ऐतिहासिक विरासत को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने की जरूरत है और इस के लिए बागेश्वर डीएम ने अनूठी पहल की है। डीएम अनुराधा पाल बिलौना गांव में धान की रोपाई कर रही महिलाओं के बीच पहुंच गईं। बस फिर क्या था..डीएम साहिबा भी धान की रोपाई में जुट गई। इसके बाद तो मानों माहौल ही बदल गया। डीएम ने हुड़किया बौल का जमकर आनंद लिया। भारी बारिश के बीच अचानक डीएम अपने बीच पाकर महिलाएं भी काफी खुश नजर आईं। आपको बता दें कि हुड़किया बौल के साथ धान की रोपाई उत्तराखंड की एक पुरानी परंपरा है, जो अब कुछ स्थानों में रह गई है। आगे पढ़िए
उत्तराखंड में लोकगीतों की समृद्ध परंपरा रही है। हुड़किया बौल इसमें प्रमुख है. खेती और सामूहिक श्रम से जुड़ी यह परंपरा जीवंत रहे, इसका बीड़ा सभी को उठाना होगा। कुमाऊं के लोकगीत का अतीत अत्यंत समृद्ध रहा है। लोकगीतों के ही कई आयाम हैं। लोकगीतों को इतने सलीके से तरासा गया है, कि इनमें जीवन का सार नजर आता है। अपनी पुरातन विरासत को संरक्षित करने और उसे नई पीढ़ी तक ले जाने का प्रयास सभी को करना चाहिए। जिलाधिकारी अनुराधा ने हुड़किया बौल के साथ धान की रोपाई करने के बाद अपना पहला अनुभव भी साझा किया। उन्होंने इसे आनंदित करने वाला संस्कृति बताया। डीएम अनुराधा पाल ने कहा कि युवाओं के साथ ही प्रवासियों को भी इस प्रकार के आयोजनों में बढ-चढ कर हिस्सा लेना चाहिए, इससे जहां एक ओर हुड़किया बौल जैसी पारंपरिक संस्कृति को बल मिलेगा तो वहीं हुडका वाद्ययंत बजाने वाले कलाकारों को प्रोत्साहन मिलेगा।