उत्तराखंड की वीरांगना तीलू रौतेली, 7 साल तक युद्ध लड़ी, ऐसे लिया पिता और भाई की मौत का बदला
Story Of Teelu Rauteli वीरांगना तीलू रौतेली ने युद्ध के मैदान में न सिर्फ अद्भुत पराक्रम दिखाया, बल्कि अपने पिता, भाई और मंगेतर की शहादत का बदला भी लिया।
Aug 7 2023 6:07PM, Writer:कोमल नेगी
उत्तराखंड की वीरांगना तीलू रौतेली की आज जयंती है। उनके साहस और शौर्य की गौरव गाथा आज भी पहाड़ी अंचल के घर-घर में सुनाई जाती है।
Story Of Teelu Rauteli Uttarakhand
हम रानी लक्ष्मीबाई, दुर्गावती और जियारानी जैसी वीरांगनाओं की कहानी तो जानते हैं, लेकिन वीरांगना तीलू रौतेली की वीरगाथा सूबे तक ही सिमट कर रह गई। वीरांगना तीलू रौतेली ने युद्ध के मैदान में न सिर्फ अद्भुत पराक्रम दिखाया, बल्कि अपने पिता, भाई और मंगेतर की शहादत का बदला भी लिया। पौड़ी गढ़वाल के चौंदकोट में स्थित गांव गुराड़ में 8 अगस्त 1661 को तीलू रौतेली का जन्म हुआ था। उनका मूल नाम तिलोत्तमा देवी था। तीलू के पिता भूप सिंह रावत (गोर्ला) गढ़वाल नरेश फतहशाह के दरबार में थोकदार थे। 15 साल की होते-होते तीलू ने घुड़सवारी और तलवारबाजी में महारत हासिल कर ली थी। इसी साल उनकी सगाई थोकदार भूम्या सिंह नेगी के पुत्र भवानी सिंह के साथ की गई थी। उस दौर में गढ़ नरेशों और कत्यूरियों के बीच युद्ध चल रहा था। इस बीच कत्यूरी नरेश धामदेव ने खैरागढ़ पर आक्रमण कर दिया। तब गढ़नरेश मानशाह ने भूप सिंह को वहां तैनात कर दिया और खुद चांदपुर गढ़ी आ गए। आगे पढ़िए
भूप सिंह ने कत्यूरियों का जमकर मुकाबला किया, लेकिन इस युद्ध में वे अपने दोनों बेटों भगतु और पत्वा के साथ शहीद हो गए। तीलू रौतेली के मंगेतर ने भी युद्ध के दौरान वीरगति प्राप्त की। कुमाऊं में चंद वंश के प्रभावशाली होते ही कत्यूरियों ने उत्पात मचाना शुरू कर दिया था। पिता-भाई और मंगेतर की शहादत के बाद 15 साल की तीलू रौतेली ने युद्ध की कमान संभाली। उन्होंने अपने मामा रामू भण्डारी, सलाहकार शिवदत्त पोखरियाल व सहेलियों देवकी और बेलू आदि के संग मिलकर एक सेना बनाई। साथ ही हजारों लोगों को छापामार युद्ध कौशल सिखाया। तीलू ने 7 साल तक युद्ध लड़ा और इडियाकोट, खैरागढ़, भौनखाल, उमरागढ़ी, सराईखेत, कलिंकाखाल, डुमैलागढ़ समेत 13 किलों पर जीत हासिल की। 15 मई 1683 को दुश्मन के एक सैनिक ने तीलू को धोखे से मार दिया। उस वक्त 22 साल की तीलू अपने अस्त्र-शस्त्र को तट पर रखकर नयार नदी में नहा रही थीं। उत्तराखंड की यह महान नायिका (Story Of Teelu Rauteli) आज भी गौरवगाथाओं में जीवित है। उनके सम्मान में हर साल महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करने वाली बेटियों को सम्मानित किया जाता है।