गढ़वाल: रास्ता बदलकर गांव के बीच आया गदेरा, ताश के पत्तों की तरह बहे घर, मचा कोहराम
बीती रात तबाही का गदेरा अपने साथ कई घरों को जमींदोज करते हुए आगे बढ़ गया। गांव के लोग डर के साये में रात बिताने को मजबूर हैं।
Aug 18 2023 3:02PM, Writer:कोमल नेगी
बारिश का सौंदर्य सिर्फ कविता-कहानियों में अच्छा लगता है, लेकिन उत्तराखंड के लिए तो ये किसी अभिशाप से कम नहीं।
Destruction due to heavy rain in Bairagarh Pauri
उत्तराखंड एक बार फिर कुदरत की मार से कराह रहा है। कहीं पुल बह रहे हैं तो कहीं सड़कें। इस बार पौड़ी के यमकेश्वर ब्लॉक में कुदरत कहर बनकर टूटी है। यहां ग्राम पंचायत सिंदुड़ी के बैरागढ़ गांव में गुरुवार रात भारी तबाही मची। देर रात कुताकटली गधेरा अचानक उफान पर आ गया। गधेरे के सैलाब ने रास्ता बदलते हुए गांव के बीचों-बीच कई घरों को जमींदोज कर दिया। लोगों के पक्के मकान ताश के पत्तों की तरह बिखर गए। क्षेत्र में कितनी तबाही हुई है, इसका अंदाजा आप तस्वीरें देखकर खुद लगा सकते हैं। गांव के लोग डर के मारे पूरी रात घर के बाहर रहे। ग्रामीणों ने बताया कि देर रात बारिश के बीच पानी के बहाव की भयानक आवाज आ रही थी। अनहोनी के डर से वो तुरंत घरों से बाहर निकल गए।
लोग ऐसा न करते तो उनके साथ अनहोनी हो सकती थी। क्षेत्र में रहने वाले युवा रातभर लोगों को सावधान करते रहे, तब कहीं जाकर लोगों की जान बच सकी। क्षेत्र में रहने वाले सुदेश भट्ट ने बताया कि प्राकृतिक आपदा की वजह से बैरागढ़ संपर्क मार्ग से पूरी तरह कट चुका है। यही वजह है कि प्रशासन भी यहां मदद नहीं पहुंचा पा रहा। गांव वालों को अब तक किसी प्रकार की राहत सामग्री नहीं मिली है। प्रधान संगठन यमकेश्वर के संरक्षक रामलाल बेलवाल ने सरकार से गांव के दोनों गदेरों को साफ करने की मांग की। उन्होंने कहा कि गदेरों नालों से मलबा नहीं हटाया गया तो बैरागढ़ की स्थिति और भी नाजुक हो सकती है। गांव के लोग रात-रातभर जगे रहने को मजबूर हैं, कई लोगों के पास रहने का ठिकाना नहीं रहा। सरकार को हमारी परेशानी समझनी चाहिए।