बाराकोट ब्लॉक की महिलाओं ने बनाई पिरूल की राखियां, देशभर में डिमांड, आप भी खरीदिए
चंपावत जिले में 34 समूह पिरूल से राखी तैयार कर रहे हैं। इससे 260 महिलाओं को रोजगार मिला है।
Aug 25 2023 7:10PM, Writer:कोमल नेगी
जंगलों के लिए अभिशाप माने जाने वाला पिरूल अब हस्तशिल्प में ढलकर पहाड़ की बेटियों को रोजगार दे रहा है। चीड़ की पत्तियों यानि पिरूल से कई तरह के उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं।
Barakot Block Women Making Pirul Rakhi
चंपावत में भी बहनें-बेटियां पिरूल से स्पेशल राखी बना रही हैं, इन राखियों की बाजार में खूब डिमांड है। बाराकोट ब्लॉक के स्वायत्त सहकारिता से जुड़ी महिलाओं द्वारा तैयार राखी के सैंपल देहरादून भेजे गए थे। ये सैंपल हर किसी को इतने पसंद आए कि देहरादून और चमोली से एक हजार राखियों की डिमांड आई है। लड़ीधुरा स्वायत्त सहकारिता से जुड़े महिला समूह पिछले तीन साल से राखी तैयार कर रहे हैं। सहकारिता की अध्यक्ष सुमन जोशी ने बताया कि ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना (रीप) ने पहाड़ की महिलाओं को बाजार उपलब्ध कराने की पहल की है। आगे पढ़िए
इसके तहत चीड़ के पेड़ से निकलने वाले पिरूल से राखी बनाई जा रही है। चंपावत जिले में 34 समूह राखी तैयार कर रहे हैं। इससे 260 महिलाओं को रोजगार मिला है। डीएम नवनीत पांडे की पहल पर इन राखियों को बाजार उपलब्ध करान के लिए कलेक्ट्रेट, रोडवेज स्टेशन और डाकघर में भी राखी के स्टॉल लगाए गए हैं। डीएम नवनीत पांडे ने जनता से स्थानीय उत्पादों को अपनाकर महिलाओं का हौसला बढ़ाने की अपील की है। उत्तराखंड के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में उगने वाले चीड़ के पत्तों यानि पिरूल को जंगल का दुश्मन कहा जाता है, क्योंकि ये जंगल में लगने वाली आग का मुख्य कारण है। उत्तराखंड की हुनरमंद बेटियां अब इसी पिरूल से कई तरह के उत्पाद बनाकर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही हैं।