image: Nainital China Peak landslide

नैनीताल के लिए खतरे की घंटी, सबसे ऊंची पहाड़ी पर हो रहा भूस्खलन, आपदा की आहट तो नहीं?

चाइना पीक की पहाड़ी पर भूस्खलन का लंबा इतिहास रहा है। 18 सितंबर 1888 को यहां विनाशकारी भूस्खलन में 150 से ज्यादा भारतीय और ब्रिटिश नागरिकों की मौत हो गई थी।
Sep 13 2023 7:27PM, Writer:कोमल नेगी

उत्तराखंड का जोशीमठ शहर भूधंसाव से प्रभावित है। विशेषज्ञ यहां भूस्खलन की वजह का पता लगाने में जुटे हैं, वहीं जोशीमठ जैसी खबरें प्रदेश के दूसरे हिस्सों से भी आ रही हैं।

Nainital China Peak landslide

इस बार मामला नैनीताल का है, जहां चाइना पीक पर लैंडस्लाइड से पूरा शहर खतरे की जद में है। नैनीताल की सबसे ऊंची चोटी चाइना पीक की पहाड़ी भूस्खलन से दरक रही है। पहाड़ी से बोल्डर और पत्थर सड़कों पर गिर रहे हैं, जिससे पहाड़ी की तलहटी में रहने वाले लोगों में दहशत है। क्षेत्र मे रहने वाले भूपेंद्र बिष्ट ने बताया कि चाइना पीक पर भूस्खलन के बाद पहाड़ी से मलबा और पत्थर लुढ़क कर नैनीताल-पंगूट मार्ग पर आ गिरे। चाइना पीक की पहाड़ी से बरसात के दौरान और बरसात के बाद धूप खिलने पर अक्सर भूस्खलन होता है, जिससे लोगों में डर का माहौल है। शासन-प्रशासन को इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है। चाइना पीक की पहाड़ी पर भूस्खलन का लंबा इतिहास रहा है। यहां 1880 के दशक से लगातार भूस्खलन हो रहा है। 18 सितंबर 1888 को चाइना पीक की पहाड़ी में विनाशकारी भूस्खलन हुआ था, जिसमें 150 से ज्यादा भारतीय और ब्रिटिश नागरिकों की मौत हो गई थी। आगे पढ़िए

तब से ये पहाड़ लगातार दरक रहा है, लेकिन पहाड़ी के ट्रीटमेंट के लिए कोई ठोस योजना अब तक नहीं बनी। स्थानीय लोगों ने बताया कि साल 1984 में भी पहाड़ियों में बड़ा भूस्खलन हुआ था, जिसमें कई घर, घोड़े मलबे में दब गए थे। तब प्रशासन ने क्षेत्र में रहने वाले लोगों को सूखाताल, आयरपाटा, यूथ हॉस्टल, प्राइमरी स्कूल समेत आस पास के क्षेत्रों में विस्थापित किया था। मलबा रोकने के लिए 10-10 फीट ऊंची दीवारें भी बनाई गई थीं, अब दीवारों पर मलबा पूरी तरह से भर चुका है। इससे पहले साल 2019 में 3 बार, 2018 में दो बार, 2014-15 में तीन बार पहाड़ी में भूस्खलन हुआ। कुमाऊं विश्वविद्यालय के भूगर्भ शास्त्री प्रोफेसर बहादुर सिंह कौटल्या कहते हैं कि पहाड़ी पर हो रहा भूस्खलन आने वाले समय में नैनीताल के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। भूस्खलन रोकने के लिए वो एक अध्ययन रिपोर्ट शासन को भेज चुके हैं, लेकिन सरकार ने इस पर अमल नहीं किया।


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