उत्तराखंड से आज की सबसे बड़ी खबर, कर्ज से परेशान किसान ने की खुदकुशी
Jun 17 2017 10:31AM, Writer:कैलाश
जय जवान जय किसान, ये नारा हर सरकार ने दिया। लेकिन क्या कभी किसी किसी सरकार ने सच में किसानों के बारे मेंं सोचा ? महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में सरकार ने किसानों का कर्ज माफ किया लेकिन उत्तराखंड में सरकार का कहना है कि फिलहाल उत्तराखंड की स्थिति इस लायक नहीं है कि किसानों का कर्ज माफ किया जा सके। इस बीच एक बड़ी खबर निकलकर सामने आ रही है। पिथौरागढ़ जिले में कर्ज के बोझ तले दबे एक किसान ने खुदकुशी कर ली। किसान ने जहर पीकर खुदकुशी की है। बताया जा रहा है कि इस घटना के बाद ग्रामीणों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बेरीनाग में जबरदस्त प्रदर्शन किया है। ऋण माफी की मांग को लेकर इन कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया है। जाहिर सी बात है कि इसके बाद से उत्तराखंड की राजनीति गरमाएगी। कांग्रेस अभी से ही सरकार के खिलाफ मुखर होती नजर आ रही है।
कहा जा रहा है कि बेरीनाग तहसील के पुरानाथल गांव के सरतोला तोक निवासी सुरेंद्र सिंह ने पांच साल पहले साधन सहकारी समिति पुरानाथल से 75 हजार रुपये का लोन लिया था। ये कर्ज कृषि कार्यों के लिए ही लिया गया था। इसके बाद उसने ग्रामीण बैंक बेरीनाग से चार साल पूर्व 50 हजार रुपये का कर्ज लिया। मेहनत मजदूरी कर वो किसान किसी तरह से अपने परिवाक का पेट पाल रहा था। ग्रामीणों का कहना है कि सुरेंद्र ने दो दिन पहले ही पुरानाथल कस्बे में कई लोगों को बताया था कि लोन जमा करने के लिए बैंक की तरफ से लगातार दबाव बनाया जा रहा है। इसके साथ ही कई ग्रामीणों का कहना है कि उसे नोटिस थमाया गया था। ग्रामीणों का कहना है कि सुरेंद्र इस उम्मीद में था कि शायद सरकार की किसी योजना में कृषि ऋण माफ हो जाए, लेकिन ऐसी कोई पहल नहीं होने से वो लगातार तनाव में घिरती जा रहा था।
ग्रामीणों का कहना है कि ज्यादा तनाव सुरेंद्र झेल नहीं सका। इसी तनाव में गुरुवार रात उसने घर पर ही जहर खा लिया। इसकी जानकारी होते ही परिजन उसे स्वास्थ केंद्र लाए। चिकित्सकों ने गंभीर हालत देखते हुए उसे पिथौरागढ़ के जिला चिकित्सालय में रेफर कर दिया। जहां सुबह सुरेंद्र ने दम तोड़ दिया। सुरेंद्र के दो बेटे हैं और दोनों ही बेरोजगार हैं। दोनों बेटों के नाम पर भी कृषि ऋण है। इस बीच एसडीएम विवेक प्रकाश ने भी इस बारे में बयान दिया है। उनका कहना है कि किसान की आत्महत्या की जानकारी मिली है। आत्महत्या के कारणों का जांच के बाद ही पता चल सकेगा। दूसरी तरफ घटना के बाद गुस्साए ग्रामीणों और स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया और किसान का कृषि ऋण माफ करने के साथ ही उसके परिवारजनों को मुआवजा देने की मांग की है। कुल मिलाकर कहें तो इस मुद्दे पर अब राजनीति भी गर्माने लगी है। सवाल ये है कि सरकार इस पर क्या जवाब देगी।