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उत्तराखंड के लिए रेड सिग्नल, वैज्ञानिकों ने दी महाभूकंप की चेतावनी, अभी भी संभल जाइए

उत्तराखंड में कम तीव्रता वाले भूकंप आते रहते हैं, लेकिन प्रदेश के चमोली में 1999 में 6.5 और उत्तरकाशी में 1991 में 6.4 तीव्रता के भूकंप भारी नुकसान पहुंचा चुके हैं।
Oct 6 2023 6:22PM, Writer:कोमल नेगी

मंगलवार को नेपाल में आए भूकंप का असर उत्तराखंड के कई शहरों में महसूस किया गया।

major earthquake can occur in Uttarakhand

उत्तराखंड में पिछले कुछ समय से लगातार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं। हल्के झटकों से प्रदेश में कोई नुकसान तो नहीं हुआ, लेकिन वैज्ञानिक इसे बड़े भूकंप के आने की चेतावनी बता रहे हैं। वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. आरजे पेरुमल ने भी यही कहा है। उन्होंने कहा नेपाल में मंगलवार को आए भूकंप के झटके कांगड़ा (हिमाचल) और बिहार-नेपाल के सिस्मिक गैप में आए हैं। इस संपूर्ण क्षेत्र में भूगर्भ में तनाव की स्थिति निरंतर बनी हुई है। ऐसे में इस सिस्मिक गैप में कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है। कांगड़ा (हिमाचल) और बिहार-नेपाल के सिस्मिक गैप में वर्ष 1905 में कांगड़ा में 7.8 मैग्नीट्यूट और बिहार-नेपाल सीमा पर वर्ष 1934 में आठ मैग्नीट्यूट के विनाशकारी भूकंप आ चुके हैं।

इसके बाद करीब 89 साल की अवधि में बड़ा भूकंप नहीं आया है। इसीलिए इस क्षेत्र में भूगर्भ में तनाव की स्थिति निरंतर बनी हुई है, साथ ही बड़े भूकंप की आशंका बनी हुई है। वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. अजय पाल के मुताबिक, मंगलवार को नेपाल में आए 6.2 मैग्नीट्यूड व अन्य छोटे भूकंप यह बता रहे हैं कि संबंधित क्षेत्र की टेक्टोनिक बेल्ट सक्रिय है। इसी क्षेत्र के डोटी (नेपाल) में वर्ष 2022 में मध्यम स्तर का भूकंप रिकॉर्ड किया जा चुका है। वैज्ञानिकों ने कहा कि बड़े भूकंप के आने का समय नहीं बताया जा सकता, लेकिन इससे निपटने की तैयारी जरूर की जा सकती है। नुकसान से बचने के लिए भूकंपरोधी तकनीक पर आधारित निर्माण नियम का अनिवार्य रूप से पालन करने की जरूरत है। उत्तराखंड में कम तीव्रता वाले भूकंप आते रहते हैं, लेकिन प्रदेश के चमोली में 1999 में 6.5 और उत्तरकाशी में 1991 में 6.4 तीव्रता के भूकंप भारी नुकसान पहुंचा चुके हैं।


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