image: Lockheed martin signs deal with tata-0617

पीएम मोदी के इस प्लान से हिल गए डोनाल्ड ट्रम्प, हो गई सबसे बड़ी डील

Jun 20 2017 2:59PM, Writer:राकेश

एक तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प लगातार ‘अमेरिका फर्स्ट’ के नारे की बात कर रहे हैं। दूसरी तरफ भारत के पीएम मोदी ने अमेरिका की इस पॉलिसी को मेक इन इंडिया से कड़ी चुनौती दे डाली है। जी हां बताया जा रहा है कि मोदी के अमेरिका दौरे से मेक इन इंडिया को नई ऊर्जा मिल गई है। अमेरिका की एयरोस्पेस टेक्नॉलजी कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने भारत के टाटा अडवांस्ड सिस्टम्स के साथ मिलकर नई डील साइन की है। इस डील के तहत F-16 लड़ाकू विमान भारत में बनाने का अग्रीमेंट साइन किया गया है। ये डील इसलिए भी बेहद जरूरी है इस वक्तच ट्रम्प अमेरिका फर्स्ट की नीति पर काम कर रहे हैं। अमेरिका की तमाम कंपनियों के लिए कहा गया है कि वहां का कंपनियां वहां का निवेश बढ़ाने पर ही जोर दें। इस बीच अमेरिका की कंपनी ने भारत की कंपनी के साथ जो डील की है वो अमेरिका फर्स्ट जैसी नीति को झटका भी कहा जा सकता है। दरअसल भारत के प्रधानमंत्री मोदी मेक इन इंडिया को लगातार बढ़ावा दे रहे हैं।

इससे दुनियाभर के मुल्कों की कई कंपनियां भारत में आकर निवेश कर रही हैं। इस तरह से अमेरिका की एयरोस्पेस कंपनी लॉकहीड मार्टिन भी इस नीति की तरफ आकर्षित हो गई है। रक्षा से जुड़े उपकरणों को तैयार करने के लिए भारत लगातार मेक इंडिया नीति की तरफ जोर दे रहा है। भारत की एयर फोर्स अपने लड़ाकू विमानों के बेड़े में बदलाव चाहती है। भारत के पास फिलहाल सोवियत जमाने के पुराने लड़ाकू विमान हैं। खऐर इस बीच 26 जून को मोदी अमेरिका राष्ट्रपति से पहली बार मुलाकात करेंगे। अमेरिका फर्स्ट नीति को बढ़ाते हुए ट्रम्प लगातार अपनी कंपनियों को अमेरिका में निवेश के लिए कह रहे थे। लेकिन इस बीच न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने एक बड़ी खबर दे दी। ये खबर मोदी के लिए खुशखबरी है और ट्रम्प के लिए झटका कहा जा सकता है। अमेरिका की कंपनी लॉकहीड मार्टिन और टाटा ने एक बयान में कहा है कि F-16 के भारत में उत्पादन होने से अमेरिका में नौकरियों पर फर्क नहीं पड़ेगा।

इसके साथ ही कहा गया है कि 'F-16 के भारत में तैयार होने से अमेरिका और भारत दोनों ही मुल्कों में जॉब्स बढ़ेंगी। बताया जा रहा है कि इस बीच स्वीडन की कंपनी साब भी भारतीय एयरफोर्स को ग्रीपन फाइटर प्लेन्स बेचना चाह रही है। ये कंपनी भी भआरत में उत्पादन के लिए राजी हो गई है। भारत में रूस और इजरायल के बाद सबसे ज्यादा आर्म्स सप्लाई करने वाला मुल्क अमेरिका ही है। ऐसे में 26 जून को पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रम्प के बीच होने वाली मुलाकात कई मायनों में अहम साबित होगी। इस साझा बयान के मुताबिक, भारत F-16 लड़ाकू विमानों को दुनिया के और भी मुल्कों को भेज सकता है। कहा जा रहा है कि दुनिया के 26 देश 3,200 F-16 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल करते हैं। भारत को इस सीरीज का ब्लॉक 70 ऑफर किया जा रहा है। ब्लॉक 70 सबसे नया मॉडल है। टाटा पहले से ही C-130 मिलिटरी ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के कंपोनेंट बना रहा है। कुल मिलाकर कहें तो फर्स्ट अमेरिका नीति को मोदी ने कड़ी टक्कर दे डाली है।


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