देवभूमि का वो पवित्र झरना, जिसकी पानी पापियों के शरीर पर नहीं गिरता, पांडवों से है नाता
कहते हैं वसुधारा वही जगह है जहां पांच पांडवों में से एक सहदेव ने अपने प्राण त्यागे थे। आप भी जानिए इस पवित्र झरने के बारे में।
Oct 21 2023 3:45PM, Writer:कोमल नेगी
उत्तराखंड की धरती अपने में कई रहस्यों को समेटे हुए है। यहां ऐसी कई जगहें हैं, जिनसे जुड़ी मान्यताएं आज भी लोगों को हैरान किए हुए है।
Story of Vasudhara Fall Badrinath
चमोली में स्थित वसुधारा वॉटरफॉल एक ऐसी ही जगह है। कहते हैं इस झरने का पानी पापियों के शरीर पर नहीं पड़ता। झरने का कनेक्शन पांडवों से जोड़ा जाता है। जब पांडव स्वर्ग के लिए जा रहे थे तो पांच पांडवों में से एक सहदेव ने इसी स्थान पर अपने प्राणों का त्याग किया था। इसीलिए इस झरने का महत्व ग्रंथों में भी बताया गया है। झरने को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं, जिन्हें परखने के लिए श्रद्धालु यहां बार-बार आते हैं। बदरीनाथ दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु वसुधारा में झरने को देखने जरूर पहुंचते हैं। वसुधारा फॉल 13,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। आगे पढ़िए
यहां पहुंचने के लिए बदरीनाथ से लगभग 8 किलोमीटर की खड़ी और पथरीली पैदल चढ़ाई करनी पड़ती है। कई किलोमीटर पैदल चलने के बाद जब श्रद्धालु वसुधारा के पास पहुंचते हैं तो यहां का नजारा उन्हें आनंद से भर देता है। झरने का पानी सफेद मोतियों सा चमकता दिखता है। झरने का पानी लगभग 400 फीट की ऊंचाई से जमीन पर गिरता है और सूरज की रोशनी में इसके पानी की बूंदे सफेद मोती सी चमकती हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस झरने का पानी जिस भी व्यक्ति पर गिरता है, वह बहुत भाग्यशाली होता है। ये भी कहते हैं कि वसुधारा का पानी पापियों पर नहीं गिरता। जिस व्यक्ति पर इस झरने का जल गिर जाए वह निरोग और भक्तिमय स्वभाव का होता है। वसुधारा अपने में कई रहस्यों को समेटे हुए है। पौराणिक ग्रंथों और शास्त्रों में भी इस झरने का उल्लेख मिलता है।