उत्तराखंड के इस जिले में शुरू होगी जायरोकॉप्टर सेवा, जानिए कैसी होती है इसकी अनोखी उड़ान
इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ ही स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ने की उम्मीद है।
Oct 23 2023 9:25AM, Writer:कोमल नेगी
उत्तराखंड का चंपावत जिला पर्यटन के क्षेत्र में नई पहचान बना रहा है। यहां शारदा नदी में रिवर राफ्टिंग हो रही है, एंगलिंग को भी देशभर में पहचान मिली है।
Gyrocopter service will start in Champawat
अब यहां पर्यटन को पंख लगाने के लिए जायरोकॉप्टर सेवा शुरू करने की तैयारी है। उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड ने इसका सफल ट्रायल भी किया है। चंपावत क्षेत्र मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का विधानसभा क्षेत्र है। आने वाले वक्त में यहां लोग जायरोकॉप्टर उड़ा सकेंगे। चंपावत के बाद प्रदेश के अन्य जिलों में भी जायरोकॉप्टर सेवा की शुरुआत की जाएगी। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ ही स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ने की उम्मीद है। चंपावत में चाय के बागान के अलावा, इको हट्स और मायावती आश्रम पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। यहां शारदा नदी में रिवर राफ्टिंग भी हो रही है। अब यहां हवाई पर्यटन को बढ़ावा देने की तैयारी है। जिसके लिए जायरोकॉप्टर सेवा शुरू की जाएगी।
अब तक मुंबई, गोवा आदि में समुद्र के किनारों पर ही जायरोकॉप्टर उड़ान भरते रहे हैं। उत्तराखंड में पहली दफा चम्पावत जिले में इसकी उड़ान होगी। नायकगोठ के मिनी मैदान को जायरोकॉप्टर के लिए अनुकूल पाया गया है। जायरोकॉप्टर में एक बार में एक यात्री दौरा कर सकेगा। ईंधन से चलने वाला जायरोकॉप्टर करीब 15 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। ईंधन की खपत लगभग 15-20 लीटर प्रति घंटे के बीच होती है। यह सैकड़ों किमी की दूरी तय करने की क्षमता रखता है। पायलट अमित परमार ने इसका सफल ट्रॉयल करने के बाद कहा कि जायरोकॉप्टर एक तरह की एयर कार है। इसको इंजन से कोई भी पावर नहीं मिलती है। यह सिर्फ हवा के प्रेशर से ही रोटेट होता है। इसमें एक बार में एक पायलट संग महज एक ही पर्यटक सवार हो सकता है। जिला पर्यटन विकास अधिकारी अरविंद गौड़ ने कहा कि ट्रायल सफल हो चुका है, जल्द ही दूसरा ट्रायल भी होगा। जमीन मिलने के बाद टनकपुर में जायरोकॉप्टर चलाने की तैयारी है।