image: Mahasu temple has mysterious connection from Rashtrapati Bhavan

उत्तराखंड के इस मंदिर का है राष्ट्रपत‌ि भवन से रहस्यमयी कनेक्शन

Jun 25 2017 8:23PM, Writer:Preeti

देवभूमि उत्तराखंड के कई मंदिर हैं जो अपने अंदर अनेक रहस्यों को समेटे हैं । उत्तराखंड में एक ऐसा रहस्यमयी मंद‌िर भी है ज‌िसका कनेक्‍शन भारत के राष्ट्रपत‌ि भवन से है। उत्तराखंड में प्रकृति की गोद में बसा यह मंद‌िर है महासू देवता का मंदिर । यह मंदिर उत्तराखंड राज्य के जौनसार छेत्र में त्यूनी-मोरी रोड पर हनोल में स्थित है । महासू देवता के इस मंदिर के सम्बन्ध में कहा जाता है क‌ि यहां जो भी मनोकामना मांगते हैं, वह जरूर पूरी होती है। उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी, संपूर्ण जौनसार-बावर क्षेत्र, रंवाई परगना के साथ साथ हिमाचल प्रदेश के सिरमौर, सोलन, शिमला, बिशैहर और जुब्बल तक महासू देवता की पूजा होती है। इन क्षेत्रों में महासू देवता को न्याय के देवता और मन्दिर को न्यायालय के रूप में माना जाता है।

महासू देवता मंदिर की दिलचस्प बात यह है कि यहां हर साल दिल्ली से राष्ट्रपति भवन की ओर से नमक भेंट किया जाता है। कहा जाता है क‌ि इस मंदिर के गर्भ गृह में भक्तों का जाना मना है। केवल मंदिर का पुजारी ही मंदिर में प्रवेश कर सकता है तथा पुजारी ही मंदिर में राष्ट्रपति भवन की ओर से चढ़ाये गए नमक को अर्पित करते हैं । महासू देवता मंदिर मिश्रित शैली की स्थापत्य कला को संजोए हुए है। वहीं यह बात आज भी रहस्य है कि महासू देवता मंदिर में हमेशा एक ज्योति जलती रहती है जो दशकों से जल रही है। महासू देवता मंदिर के गर्भ गृह में पानी की एक धारा निकलती रहती है लेकिन वह कहां जाती है और उसका श्रोत क्या है इसके बारे में आज तक कोई पता नहीं कर पाया है।

कहा जाता है क‌ि यह मंद‌िर एक नहीं चार देवताओं बासिक महासू, पबासिक महासू, बूठिया महासू (बौठा महासू) और चालदा महासू का सामूहिक नाम है। जो कि सभी भगवान शिव के ही रूप हैं। उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी, संपूर्ण जौनसार-बावर क्षेत्र, रंवाई परगना के साथ साथ हिमाचल प्रदेश के सिरमौर, सोलन, शिमला, बिशैहर और जुब्बल तक महासू देवता की पूजा होती है। इन क्षेत्रों में महासू देवता को न्याय के देवता और मन्दिर को न्यायालय के रूप में माना जाता है। मान्यता यह भी है कि महासू ने किसी शर्त पर हनोल का यह मंदिर जीता था। महासू देवता जौनसार बावर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के ईष्ट देव हैं। कहा जाता है क‌ि पांडव लाक्षा ग्रह से निकलकर यहां आए थे। इसल‌िए इसे भगवान की तरह पूजा जाता है।


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