उत्तराखंड में मौजूद इस झील ने दिया बड़ी तबाही का सिग्नल, सैटेलाइट इमेज ने वैज्ञानिकों को चौंकाया
साल 2013 में केदारनाथ में एक झील टूटने के बाद तबाही का सैलाब आया था, जो कि हजारों लोगों की जान ले बैठा। अब उत्तराखंड के टिहरी जिले से खतरे के संकेत मिल रहे हैं।
Nov 5 2023 3:14PM, Writer:--Select--
उत्तराखंड प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से बेहद संवेदनशील राज्य है।
Scientific report about Tehri Garhwal New Lake
साल 2013 में यहां केदारनाथ में एक झील टूटने के बाद तबाही का सैलाब आया था, जो कि हजारों लोगों की जान ले बैठा। अब हिंदी न्यूज पोर्टल टीवी 9 की एक रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड के टिहरी जिले से खतरे के संकेत मिल रहे हैं। यहां खतलिंग ग्लेशियर के निचले हिस्से में बनी एक झील आने वाले समय में बड़ा खतरा साबित हो सकती है। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों ने कहा कि साल 1968 में ये झील अस्तित्व में भी नहीं थी, लेकिन 1994 में ये धीरे-धीरे सैटेलाइट इमेज में नजर आने लगी। वहीं 2022 में इस झील ने (0.38 स्क्वायर किलोमीटर) तक अपना दायरा बढ़ा लिया। खतलिंग ग्लेशियर में बनी इस झील की सहायक भागीरथी नदी है। आगे पढ़िए
अगर यह झील टूटी तो भागीरथी नदी के किनारे बसे गांव, स्ट्रक्चर, इमारतें, प्रोजेक्ट और कितने गांव झील के पानी की चपेट में आ सकते हैं। इस झील की कितनी गहराई और झील में पानी की मात्रा कितनी है, उसके बारे में सटीक जानकारी नहीं मिल सकी है। वैज्ञानिकों ने कहा कि उत्तराखंड के ऊंचे ग्लेशियरों में कुल 350 झीलें वो हैं, जिन्हें वैज्ञानिकों की भाषा मे मोरिन डैम (झील) कहा जाता है। मोरिन झीलें अलग-अलग मटेरियल से बनती हैं और टूट भी जाती हैं। टिहरी की खतलिंग ग्लेशियर में बनी झील इन्हीं में से एक है। वाडिया के निदेशक कला चंद सैन की मानें तो फिलहाल इस झील से कोई खतरा नहीं है, लेकिन अगर झील में क्षमता से ज्यादा पानी आया तो झील के टूटने का खतरा बना हुआ है। फिलहाल झील तक पहुंच मुश्किल है, इसलिए वाडिया के वैज्ञानिक सैटेलाइट की मदद से झील की मॉनिटरिंग कर रहे हैं।