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Uttarakhand: पलायन से जूझ रहे अपने गांव को बचा पाएंगे महेन्द्र सिंह धोनी? बचे हैं गिनती के परिवार

अपने खेल के दम पर दुनियाभर में नाम कमाने वाले महेंद्र सिंह धोनी का गांव आज भी विकास से कोसों दूर है।
Nov 15 2023 4:52PM, Writer:कोमल नेगी

कैप्टन कूल के नाम से मशहूर महेंद्र सिंह धोनी एक बार फिर अपने परिवार संग उत्तराखंड में अपने पैतृक गांव पहुंचे हैं।

Mahendra Singh Dhoni native village Lwali

अपने शानदार खेल से देशभर के खेल प्रेमियों के दिलों पर राज करने वाले धोनी का मूल गांव उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के जैंती तहसील में है। आज अल्मोड़ा के ल्वाली गांव को पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के गांव के तौर पर जाना जाता है, लेकिन पलायन की पीड़ा सह रह ये गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। महेंद्र सिंह धोनी के परिवार की तरह अन्य परिजन भी दूसरी जगहों पर जाकर बस गए हैं। खबरों के मुताबिक वर्ष 2004 में महेंद्र सिंह धोनी का परिवार आखिरी बार अपने गांव आया था। गांव में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की आबादी अधिक है। आगे पढ़िए

किक्रेटर महेंद्र सिंह धोनी के पिता पान सिंह ने 70 के दशक में अपना पैतृक गांव छोड़ दिया था। हालांकि वह धार्मिक आयोजनों में गांव में आते हैं। धोनी के चाचा घनपत सिंह भी अब गांव में नहीं रहते हैं। वह भी सालों पहले गांव से पलायन कर हल्द्वानी बस गए हैं। उत्तराखंड गठन से पूर्व महेंद्र धोनी का अपने पैतृक गांव में जनेऊ संस्कार हुआ था। ल्वाली गांव में अब गिनती के परिवार रहते हैं, बाकी सब सुविधाओं के अभाव में पलायन कर गए हैं। गांव में कुछ ही समय पहले सड़क बनी है। महेंद्र सिंह धोनी बड़ी हस्ती हैं, ग्रामीणों को उम्मीद थी कि धोनी का नाम होने से कोई उनके गांव की भी सुध लेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इन दिनों धोनी अपनी पत्नी और बेटी संग उत्तराखंड आए हुए हैं। गांव के लोगों को उम्मीद है कि इस बार Mahendra Singh Dhoni अपने पैतृक गांव जरूर आएंगे, और गांव वालों के साथ कुछ समय बिताएंगे।


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