image: Geological Report on Silkyara Tunnel Collapse

Uttarakhand: एक बड़ी भूल और खतरे में 41 लोग, क्या है सुरंग हादसे की वजह? आप भी जानिए

वैज्ञानिकों का कहना है कि टनल निर्माण के दौरान जोन के हिसाब से सपोर्ट सिस्टम लगाया गया होता तो ये हादसा नहीं होता।
Nov 18 2023 3:24PM, Writer:कोमल नेगी

उत्तरकाशी के सिलक्यारा में हुए टनल हादसे की वजह क्या है, ये अब तक साफ नहीं हो पाया है। वैज्ञानिक और जांच एजेंसियां इस पर मंथन कर रही हैं।

Geological Report on Silkyara Tunnel Collapse

उत्तरकाशी में जारी बचाव अभियान के बीच जाने-माने भू-वैज्ञानिक डॉ. पीसी नवानी का कहना है कि ये प्राकृतिक हादसा नहीं, बल्कि इंसानी भूल का नतीजा है। टनल निर्माण के दौरान जोन के हिसाब से सपोर्ट सिस्टम लगाया गया होता तो ये हादसा नहीं होता। उन्होंने हिमालय के लिए सुरंग निर्माण को सबसे सुरक्षित भी बताया। उन्होंने कहा कि सुरंगों से हिमालय को कोई खतरा नहीं है। सुरक्षित तरीके से टनल निर्माण होने के बाद ये 100 से 150 साल तक चलती है। जबकि सामान्य तौर पर सड़कें हर साल आपदा में टूट जाती हैं। डॉ. पीसी नवानी जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रॉक मैकेनिक्स के पूर्व निदेशक रह चुके हैं। वो कहते हैं कि जहां से टनल कोलेप्स हुई, वह जोन काफी कमजोर था। आगे पढ़िए

टनल बनाने के दौरान निर्माण टीम को जो डिजाइन पैटर्न दिया गया था, उसी पर वह काम करते रहे। टनल बनाते वक्त भूगर्भीय हालातों का ध्यान रखना पड़ता है, उसी के अनुसार सपोर्ट सिस्टम में बदलाव किया जाना चाहिए। अभी तक जिस तरह के तथ्य मिले हैं, उससे साफ पता चलता है कि ये हादसा प्राकृतिक नहीं है। डॉ. नवानी कहते हैं कि मनेरी भाली-2 की 16 किमी टनल में 500 मीटर हिस्सा ऐसा था, जिसे ''श्रीनगर थ्रस्ट'' बोलते हैं। यहां मिट्टी भुरभुरी थी। लिहाजा पैटर्न में बदलाव करके काम किया गया था। सुरंग के कुल व्यास के ऊपर का तीन मीटर हिस्सा ही संवेदनशील होता है। इसके गिरने-धंसने का खतरा रहता है। इससे ऊपर कोई खतरा नहीं है। कमजोर हिस्से के हिसाब से ही सपोर्ट देना पड़ता है। बता दें कि यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा से डंडालगांव के बीच निर्माणाधीन सुरंग में हुए हादसे में 41 श्रमिक फंसे हैं, जिन्हें बचाने के लिए बड़े स्तर पर अभियान चल रहा है।


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