image: thousand year old inscriptions on the wall of Jageshwar Dham

उत्तराखंड के जागेश्वर धाम से जुड़े बड़े रहस्य का खुलासा, हजारों साल का इंतजार खत्म

Jageshwar Dham Inscription जागेश्वर धाम में उकेरे गए शिलालेखों में हजारों साल पुरानी लिपि का इस्तेमाल किया गया है।
Nov 29 2023 4:37PM, Writer:कोमल नेगी

अल्मोड़ा में स्थित जागेश्वर धाम, उत्तराखंड के प्रमुख मंदिरों में से एक है। हर साल लाखों श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं।

inscriptions on the wall of Jageshwar Dham

इस दौरान जो बात श्रद्धालुओं को सबसे ज्यादा हैरान करती है, वो है यहां की दीवारों पर उकेरे गए शिलालेख। करीब एक हजार साल से ज्यादा का वक्त बीत गया, लेकिन शिलालेख में लिखा क्या है और यहां इस्तेमाल पुरानी लिपि कौन सी है, ये हमेशा से रहस्य ही बना रहा। अब सैकड़ों साल बाद शिलालेख और लिपि का रहस्य उजागर हुआ है। दरअसल इन शिलालेखों पर देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं के नाम के अलावा मंदिरों में किए गए कार्यों का विवरण उत्कीर्ण है। यहां मृत्युंजय मंदिर के मंडप में तीन प्राचीन शिलालेख भी थे। इन पर अंकित लिपि के बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं था। आगे पढ़िए

इसे देखते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) देहरादून मंडल ने पिछले साल ही एपिग्राफी शाखा को पत्र भेजा था। अब एपिग्राफी शाखा ने पत्र के माध्यम से जानकारी दी है कि इन लिपि का अनुवाद 1960 में देश के प्रसिद्ध पुरालेख विशेषज्ञ डॉ. डीसी सरकार कर चुके हैं। जागेश्वर धाम में महामृत्युंजय सहित कुछ अन्य मंदिरों की दीवारों पर प्राचीन लिपि उत्कीर्ण है। शिलालेखों में उत्कीर्ण लिपि के अनुवाद से पता चलता है कि महामृत्युंजय मंदिर के मंडप की 13वीं सदी में मरम्मत हुई थी। एक शिलालेख में लिखा है कि मंडप मरम्मत का कार्य श्री कुमाद्रि में तुलाराम की पत्नी ने कराया था। मरम्मत कार्य नारायण के पुत्र कृष्णदास के छोटे भाई ने किया था। शिलालेखों का अनुवाद जल्द ही लोगों के लिए डिस्प्ले किया जाएगा। सहायक अधीक्षण पुरातत्वविद, जागेश्वर केबी शर्मा ने कहा कि अभी शिलालेखों पर और शोध की जरूरत है। उसके बाद ही इनका अनुवाद लोगों के लिए डिस्प्ले किया जाएगा।


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