image: Mana village people want to ban Bhotiya dog word

Uttarakhand News: देश के प्रथम गांव के लोग आहत, ‘भोटिया कुत्ता’ शब्द बेन कराने की मांग

धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि अगर इस शब्द से किसी की भावनाएं आहत होती हैं, तो तत्काल प्रभाव से इस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।
Dec 4 2023 6:59PM, Writer:कोमल नेगी

जब भी पहाड़ी कुत्तों की नस्ल का जिक्र होता है तो 'भोटिया कुत्ता' शब्द अचानक ही जहन में उभर आता है। हालांकि ये एक शब्द किसी जनजाति के लिए किस कदर आहत करने वाला हो सकता है, हमें इस बारे में भी सोचना चाहिए।

Mana village people want to ban Bhotiya dog word

दरअसल उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों के प्रथम गांवों में रहने वाले भोटिया जनजाति के लोगों ने सरकार से 'भोटिया कुत्ता' शब्द पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। उनका कहना है कि इस शब्द से जनजाति विशेष की भावनाएं आहत होती हैं। उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों में थारू, बुक्सा, भोटिया, जौनसारी और राजी पांच जनजातियां निवास करती हैं। इनमें से भोटिया जनजाति भारत के नेपाल- तिब्बत सीमा पर निवास करती है। पुराने समय में जब भारत-तिब्बत के बीच व्यापार होता था तो इसमें भोटिया जनजाति के लोग शामिल होते थे। ये लोग हजारों की तादाद में भेड़-बकरियां पालते थे और जानवरों की सुरक्षा के लिए बड़े आकार का कुत्ता पालते थे। यह कुत्ता भेड़-बकरियों ही नहीं भोटिया समुदाय के घर, सामान और उनकी रक्षा भी करता था। लेकिन बाद में लोगों ने इस कुत्ते को भी भोटिया कुत्ता कहना शुरू कर दिया। आगे पढ़िए

बागेश्वर के उत्तरायणी मेले में इस कुत्ते के बच्चे को भोटिया कुत्ता कहकर बेचा जाता है। लोग जोर-जोर से भोटिया कुत्ते का बच्चा बोलकर ग्राहक बुलाते हैं। राष्ट्रीय पंचायती राज संगठन के अध्यक्ष गंगा सिंह पांगती ने इसे लेकर आपत्ति जताई है। उन्होंने मुख्य सचिव, राज्य जनजाति आयोग, जिलाधिकारी बागेश्वर और पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर इस शब्द पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। पूर्व आईएएस एसएस पांगती ने कहा कि 1901 से पहले के तमाम ग्रंथों में इस बात का उल्लेख है तिब्बती लोगों को भोट या भोटिया कहा जाता था। अगर किसी शब्द से लोगों की भावनाएं आहत होती हैं, तो इस शब्द का बिल्कुल उच्चारण नहीं किया जाना चाहिए। धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने भी कहा कि विशेष प्रजाति के इस कुत्ते को हिमालयन शिप डॉग भी कहा जाता है, इसे इसी नाम से पुकारा जाना चाहिए। अगर इस शब्द से किसी की भावनाएं आहत होती हैं, तो तत्काल प्रभाव से इस शब्द पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। इस संबंध में राष्ट्रीय पंचायती राज संगठन ने शासन के साथ ही राज्य जनजाति आयोग को पत्र लिखा है।


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