Uttarakhand bhu kanoon: मूल निवास स्वाभिमान रैली में उमड़ा जनसैलाब, याद आया उत्तराखंड आंदोलन
मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि यह उत्तराखंड की जनता की अस्मिता और अधिकारों की लड़ाई है।
Dec 24 2023 4:48PM, Writer:कोमल नेगी
देहरादून की सड़को पर आज उत्तराखंड आंदोलन की यादें ताजा हो गई।
Mool niwas swabhiman rally dehradun
कोदा झंगोरा खाएंगे, उत्तराखंड बनाएंगे…बोल पहाड़ी हल्ला बोल जैसे नारों के साथ परेड ग्राउंड में पहाड़ के दूर दराज से हजारों की संख्या में लोग एकत्रित हुए। मौका था मूल निवास भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति द्वारा आयोजित मूल निवास सवाभिमान रैली का जिसमें कई सामाजिक संगठनों, राजनीतिक दलों, राज्य आंदोलनकारियों और उत्तराखंड की आम जनता ने शिरकत की। परेड ग्राउंड से शहीद स्मारक तक आय़ोजित रैली में हर तरफ से एक ही आवाज आ रही थी, हमें चाहिए मूल निवास 1950 और सशक्त भू-कानून। मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि यह उत्तराखंड की जनता की अस्मिता और अधिकारों की लड़ाई है। सरकार की ओर से विभिन्न माध्यमों से संघर्ष समिति से जुड़े सदस्यों से संपर्क कर रैली का टालने का अनुरोध किया गया था। हम सरकार की इस पहल और सक्रियता का सम्मान करते हैं, लेकिन यह जन आंदोलन है, जिसका नेतृत्व उत्तराखंड की आम जनता कर रही है। इसलिए इस आंदोलन से संबंधित कोई भी फैसला आम जनता के बीच से ही निकलेगा। आगे पढ़िए
रैली में प्रदेश के कोने कोने से मातृशक्ति पारंपरिक परिधानों के साथ शामिल हुई। सभी की एक ही मांग थी कि उत्तराखंड के असल मुद्दों यानी जल जंगल जमीन का हक बचाने के लिए मूल निवास का कटऑफ वर्ष 1950 लागू किया जाए। पिछले काफी दिनों से सोशल मीडिया के जरिए लोगों का व्यापक समर्थन इस रैली को मिल रहा था। रैली को सफल बनाने के सभी जिलों से लोग पहुंचे। रैली में कई संगठन, राजनीतिक दल, समाजसेवी,चारधाम तीर्थ पुरोहित, उत्तराखंड के प्रबुद्धजन और लोकगायक भी भी मौजूद थे। लेकिन सबका मूल निवास और भू-कानून ही मकसद था। गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी ने भी रैली को सफल बनाने के लिए दूसरे छोर से प्रयास की शुरुआत की। नरेंद्र सिंह नेगी ने बदरीनाथ के द्वार गरुड़ गंगा से कई लोक गायकों के साथ रैली की शुरुआत की। उन्होंने सबसे पहले तो Mool niwas swabhiman rally को सफल बनाने के लिए उत्तराखंड की जनता को शुभकामनाएं दी और फिर एक गीत के जरिए उत्तराखंड की जनता को जगाने का प्रयास किया।