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उत्तराखंड का प्राचीन रघुनाथ मंदिर, जहां भगवान श्री राम ने किया था कठोर तप

प्राचीन रघुनाथ मंदिर का उल्लेख न केवल केदारखंड में मिलता है, बल्कि इतिहासकार ह्वेनसांग ने भी अपने यात्रा वृतांत में इसका उल्लेख किया है।
Jan 21 2024 4:06PM, Writer:कोमल नेगी

अयोध्या में श्री राम लला की स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं।

Raghunath Mandir Devprayag

पूरा देश राममय है। इस मौके पर हम आपको उत्तराखंड के उस प्रसिद्ध राम मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां राम ने रावण वध के बाद ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति के लिए तपस्या की थी। हम बात कर रहे हैं देवप्रयाग में स्थित रघुनाथ मंदिर की। कहा जाता है कि ये मंदिर भगवान राम की तपस्यास्थली रहा है। रघुनाथ मंदिर की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने कराई थी। देवप्रयाग के प्राचीन रघुनाथ मंदिर का उल्लेख न केवल केदारखंड में मिलता है, बल्कि इतिहासकार ह्वेनसांग ने भी अपने यात्रा वृतांत में इसका उल्लेख किया है। मंदिर परिसर के शिलालेखों और गढ़वाल के प्राचीन पंवार शासकों के कई पुराने ताम्र पत्रों में भी मंदिर का उल्लेख है।

इतिहासकारों के अनुसार पंवार वंश के राजा कनकपाल के पुत्र के गुरु शंकर ने काष्ठ का प्रयोग कर मंदिर शिखर का निर्माण करवाया। गुरु शंकर और आदि गुरु शंकराचार्य का काल आठवीं सदी का है। केदारखंड में उल्लेख है कि त्रेता युग में ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति के लिए श्रीराम ने देवप्रयाग में तप किया और विश्वेश्वर शिवलिंगम की स्थापना की। कैत्यूर शैली में बने रघुनाथ मंदिर में मंडप, महामंडल, गर्भगृह व शिखर पर आमलक बना है। केंद्रीय मंदिर में भगवान रघुनाथ की प्रतिमा है। जो खड़ी मुद्रा में एक ग्रेनाइट प्रतिमा है। इसकी ऊंचाई करीब साढ़े छह फीट है। बदरीनाथ धाम तीर्थ पुरोहित समाज यहां के पुजारी हैं। संगम से रघुनाथ मंदिर तक आने वाली 101 सीढ़ियों पर राम नाम जपते हुए पहुंचने का विधान है। पौष महीने में यहां महापूजा का आयोजन किया जाता है।


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