image: the mother died after suffering for 6 hours in the ambulance

रेफर सेंटर बनकर रह गए पहाड़ के अस्पताल, एंबुलेंस में 6 घंटे तड़पने के बाद प्रसूता की मौत

रेनू के पति अमित ने बिलखते हुए कहा कि अगर पहाड़ में अच्छा अस्पताल और डॉक्टर होते तो उनकी पत्नी की जान नहीं जाती।
Feb 8 2024 1:56PM, Writer:कोमल नेगी

पर्वतीय इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल किसी से छिपा नहीं है। कहीं अस्पताल नहीं हैं तो कहीं अस्पतालों में डॉक्टर।

Pregnant women died in haldwani

जहां ये दोनों हैं, वहां भी मरीजों को बाहर रेफर कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली जाती है। नतीजतन कई लोगों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता और उनकी जान चली जाती है। हल्द्वानी में यही हुआ। यहां प्रसूता छह घंटे एंबुलेंस में तड़पती रही। जब तक उसे सुशीला तिवारी अस्पताल पहुंचाया गया, तब तक महिला की मौत हो चुकी थी। प्रसूता को पौड़ी के सरकारी अस्पताल में प्रसव के बाद रामनगर सीएचसी रेफर किया गया था, वहां से उसे हल्द्वानी रेफर कर दिया गया। 24 साल की रेनू पौड़ी के मैठाड़ा ग्वीन मल्ला में पति अमित गौनियाल के साथ रहती थी। रेनू गर्भवती थी और मंगलवार को प्रसव पीड़ा होने पर अमित उसे लेकर गांव के पास स्थित बीरोखाल के सरकारी अस्पताल में पहुंचा।

यहां रेनू ने एक बच्ची को जन्म दिया, लेकिन कुछ ही देर बाद रेनू की तबीयत बिगड़ गई, उसे ब्लीडिंग होने लगी। तब डॉक्टरों ने रेनू को रामनगर सीएचसी के लिए रेफर कर दिया। परिजन एंबुलेंस से रेनू को सरकारी अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां से डॉक्टरों ने रेनू को सुशीला तिवारी अस्पताल भेज दिया, लेकिन अफसोस कि रेनू बच नहीं सकी। रेनू की मौत की वजह अत्यधिक रक्तस्राव को माना जा रहा है। रेनू के पति अमित ने बिलखते हुए कहा कि अगर पहाड़ में अच्छा अस्पताल और डॉक्टर होते तो उनकी पत्नी की जान नहीं जाती। अमित छह घंटे एंबुलेंस में पत्नी के साथ बैठे रहे और वह दर्द से कराहती रही। रेनू की मौत के बाद पूरा परिवार गहरे सदमे में है।


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