पहाड़ों की इस बेटी बदल डाली गांवों की तस्वीर, जो दिग्गज ना कर पाए वो कर गई ये बच्ची
Jul 12 2017 4:35PM, Writer:गीता
कौन कहता है कि पहाड़ों में हुनरमंद पैदा नहीं होते ? अगर आपको यकनी नहीं होता तो ये खबर जरूर पढ़िए। हम आज आपको एक बेटी की कहानी बताने जा रहे हैं। इस बेटी ने अपने काम से गावों की तस्वीर बदल डाली है। हम बात कर रहे हैं उत्तरकाशी की एक बेटी की, जिसका नाम है प्रीति। प्रीति आठवीं कक्षा की छात्रा हैं। प्रीति को अपने गांव और आस पास के गांवों की बेहद चिंता सताती है। ये ही वजह है कि उसकी एक पहल ने तमाम गांवों की तस्वीर बदल कर रख दी। उत्तरकाशी के सुनाली गांव की छात्रा हैं प्रीति। तीन साल पहले इस गांव का एक पुल आपदा से बर्बाद हो गया था। इस तबाही की वजह से सुनाली और आसपास के गांवों के लोगों का इधर उधर जाना मुश्किल हो गया था। बच्चों को स्कूल जाने के लिए ना जाने कैसे कैसे जतन करने पड़ते थे। लेकिन कोई गंभीर आवाज इसके लिए कभी नहीं उठ पाई। अगर आप शहरों में रह रहे हैं तो आपको गांव में एक पुल की कीमत का अंदाजा लगाने के लिए पहले किसी गांव में जाना पड़ेगा।
एक गांव से दूसरे गांव को जोड़ने वाले पुल वहां के लोगों के लिए काफी जरूरी होते हैं। कम्यूनिकेशन का सिर्फ एक ये ही साधन होता है। ऐसे में जब प्रीति के गांव का पुल उजड़ा तो, उन्होंने इसके लिए आवाज उठानी शुरू कर दी। ये प्रीति कि मेहनत और जुनून का ही नतीजा है कि आज जिलाधिकारी ने इस पुल के निर्माण के लिए रुपये मंजूर कर डाले हैं। पुल ना होने से खास तौर पर बरसात में लोगों को काफी परेशान झेलनी पड़ती थी। खासकर गांव के बच्चों को स्कूल जाने के लिए भयंकर प्रवाह में बह रहे गदेरों को बड़ी मेहनत से पार करना पड़ता था। एक छोटी की गलती कभी भी जानलेवा साबित हो सकती थी। प्रीति से ये देखा ना गया उन्होंने इसके लिए आवाज उठाई। इस वजह से कमल नदी पर झूलापुल का प्राक्कलन तैयार करने के निर्देश लोक निर्माण विभाग को दे दिए गए हैं। इसके साथ ही इस इलाके में पैर परासते शराब के धंधे पर अंकुश लगाने के लिए भी प्रति ने आवाज उठाई।
आज उनकी आवाज का असर है कि अधिकारियों की तरफ से निर्देश जारी कर दिए गए हैं। इतनी छोटी सी बच्ची ने महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए भी आवाज उठाई थी। आज पहाड़ों की इस बेटी की आवाज का असर है कि गांव में महिलाओं के लिए स्वरोजगार योजना पर भी काम हो रहा है। हमारा मकसद आपको ये कहानी बताने का इसलिए है, क्योंकि कई लोग होते हैं जो हाथ पर हाथ धरे बैठ जाते हैं। सरकार का इंतजार करते हैं। लेकिन उससे पहले ये जान लेना काफी जरूरी है कि जब तक आपने आवाज नहीं उठाई तब तक कुछ नहीं होगा। अपने अधिकारों की लड़ाई लड़नी है तो प्रति से सीखिए। सुनाली गांव में जिलाधिकारी ने जनता मिलन कार्यक्रम लगाया था। यहां प्रति ने हर बात बेबाक तरीके से उन्हें बताई। ये इस बेटी की बेबाकी का नतीजा है कि पुल तो बनेगा ही बनेगा, इसके साथ ही शराब पर अंकुश लगेगा और साथ साथ ही महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ा जाएगा। सलाम है पहाड़ों की इस बेटी को।