उत्तराखंड में घुसपैठ करने वाले चीन को मिलेगा जवाब, भारत में तैयार हो रहा है ‘ब्रह्मास्त्र’ !
Jul 13 2017 1:55PM, Writer:मीत
इससे पहले कि हम आपको इलस खबर के बारे में बताएं, आपको याद होगा कि उत्तराखंड में china की घुसपैठ से हड़कंप मच गया था। बताया गया था कि बॉर्डर पर china के दो हेलीकॉप्टर काफी देर तक उड़ते रहे। भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने इसके बाद उत्तराखंड के लिए अलर्ट भी जारी कर दिया था। साफ है कि इस वक्त उत्तराखंड भई चीन के आंतक से अछूता नहीं है। चीन एक तरफ लगातार अपनी चाल चल रहा है। दूसरी तरफ भारत ने भी अब ड्रैगन को जवाब देने के लिए खतरनाक प्लानिंग कर डाली है। इस बीच अमेरिका के दो वरिष्ठ परमाणु विशेषज्ञों का मानना है कि भारत अब अपनी परमाणु तकनीकि में लगातार विकास कर रहा है, जो कि एक अच्छा संकेत माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि इसके लिए भारत में एक मिसाइल तैनात की जा रही है, जिसे दक्षिण भारत में तैनात किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि इस मिसाइल की ताकत ऐसी है कि दक्षिण भारत के अपने बेस से ही ये मिसाइल पूरे china को टार्गेट कर सकती है।
पहले भारत का ध्यान पाकिस्तान पर था, लेकिन अमेरिका के परमाणु विशेषज्ञों का कहना है कि भारत अब ड्रैगन की बढ़ती ताकत को रोकने के लिए ऐसा कर रहा है। इसके बाद से भारत ने इस मुल्क के खिलाफ अपने कदम मजबूत करने का मन बना लिया था। ऑनलाइन मैगजीन 'आफ्टर मिडनाइट' में भी एक लेख छपा है। इस लेख के मुताबिक दावा किया गया है कि भारत एक ऐसी मिसाइल तैयार कर रहा है, जो दक्षिण के इलाके से पूरे china को टारगेट कर सकेगी। इससे पहले एक लेख में बताया गया था कि भारत के पास 150 से 200 न्यूक्लियर वॉरहेड तैयार करने के लिए प्रचुर मात्रा में प्लूटोनियम है। इसके साथ ही कहा गया है कि भारत पाकिस्तान से ज्यादा चीन की रणनीति को फोकस कर रहा है। नए मिसाइल सिस्टम को विकसित करने पर लगातार जोर दिया जा रहा है। इसे इस तरह से तैयार किया जा रहा है कि चीन के हर वार का करारा जवाब दिया जा सके।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत अपने परमाणु हथियारों के नवीनीकरण और आधुनिकीकरण पर इसलिए ध्यान दे रहा है, क्योंकि उसे अब चीन से मुकाबला करना है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के पास 7 परमाणु सक्षम सिस्टम मौजूद हैं। इनमें जमीन से संचालित होने वाली 4, विमान से संचालित होने वाली 2 और समुद्र से संचालित होने वाला एक बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम है। इसके साथ ही कहा गया है कि भारत ऐसी चार और बैलिस्टिक सिस्टम को बनाने के बारे में विचार कर रहा है। अगर ऐसा होता है तो चीन को भारत के आगे मुंह की खीनी पड़ेगी। इससे पहले जनरल बिपिन रावत भी साफ कर चुके हैं कि चीन 1962 की बात ना करे, क्योंकि ये 2017 है और स्थितियां बहुत बदल चुकी हैं। खैर इतना जरूर है कि चीन को जवाब देने के लिए और भी खास प्लानिंग की जरूरत है। ऐसे में भारत का ये फॉर्मूला कितना कारगर साबित होगा, ये तो आने वाला वक्त ही तय करेगा।